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संगम की रेती पर सजी विश्व की सबसे बड़ी तंबुओं की नगरी

SV News

नहावन से पहले कल्पवासियों का तांता

महाकुंभ नगर (राजेश सिंह)। विश्व की सबसे बड़ी तंबुओं की नगरी संगम की रेती पर सज गई है। शनिवार को हर दिशाओं से प्रयागराज आने वाले मार्गों पर लाखों कल्पवासियों के वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। कल्पवासियों का रेला उमड़ने से पांटून पुलों से लेकर सड़कों तक तिल रखने की जगह नहीं बची।
वाहन चींटी चाल भी नहीं चल पा रहे थे। इसी के साथ मेला खिल उठा है। पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) के प्रथम स्नान पर्व की डुबकी के लिए पूरा देश संगम की ओर रुख कर चुका है। रविवार से मास पर्यंत कल्पवास आरंभ होगा, लेकिन रेती पर बसने के लिए कल्पवासी शनिवार को दिन रात उमड़ते रहे।
पांटून पुलों से लेकर चकर्ड प्लेट मार्गों तक तिल रखने की जगह नहीं बची। इसी के साथ विश्व के सबसे बड़े आयोजन के रूप में महाकुंभ गुलजार हो गया।ट्रैक्टर ट्राॅलियों पर महीने भर की गृहस्थी लेकर लोग शिविरों में पहुंचने लगे हैं। पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ मास पर्यंत जप, तप, ध्यान का मेला आरंभ हो जाएगा। इसके लिए देश-दुनिया से कल्पवासी परिवार के साथ निकल पड़े हैं।
गोरखपुर के लाल बाबा पत्नी और थाईलैंड से आए पुत्रों के साथ पूरे साजो-सामान के साथ देर शाम सेक्टर-18 में लगे प्रधान तीर्थ पुरोहित डॉ. प्रकाशचंद्र मिश्रा के शिविर में पहुंचे। वहीं, देवरिया से राम रतन तिवारी, सुभाष पांडेय गृहस्थी के साथ लंबी मशक्कत के बाद देर रात अपने कल्पवासी शिविर में पहुंचे।
इसी तरह जौनपुर, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, वाराणसी, रीवा और बिलासपुर से काफी संख्या में कल्पवासी बांस, लकड़ी, पुआल के बीच गृहस्थी लादकर देर रात तक शिविरों में पहुंचते रहे। कल्पवासियों का कारवां चलने से पांटून पुलों से लेकर चकर्ड प्लेट मार्गों तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं।
कल्पवासियों के आगमन के साथ ही रेती पर बसी विश्व की सबसे बड़ी और अद्भुत तंबुओं की नगरी गुलजार हो गई है। उधर, पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के लिए जहां मेला प्रशासन भी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है, वहीं कल्पवासी रेती पर अपनी गृहस्थी सजाने में जुट गए हैं।
गंगा-यमुना के किनारे के स्नान घाटों से लेकर संगम की सर्कुलेटिंग एरिया में बिजली-पानी के इंतजामों को दिन भर दुरुस्त किया जाता रहा। चकर्ड प्लेटें पुलों से लेकर मार्गों तक दुरुस्त की जाती रहीं।
मेला प्रशासन की ओर से पौष पूर्णिमा पर सात करोड़ से अधिक संतों, भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों का रेला उमड़ने का अनुमान है। सेंट्रल अस्पताल के अलावा हर सेक्टर में 20-20 बेड के अस्पताल बनाए गए हैं। महाकुंभ में आने वाले कल्पवासियों, श्रद्धालुओं के अलावा बसावट के काम में लगे मजदूरों और उनके परिवार वालों का इलाज भी शुरू हो गया है। 

प्रमुख स्नान पर्व

13 जनवरी - पौष पूर्णिमा
14 जनवरी - मकर संक्रांति - शाही स्नान
29 जनवरी - मौनी अमावस्या - शाही स्नान
02 फरवरी - वसंत पंचमी - शाही स्नान
12 फरवरी - माघी पूर्णिमा
26 फरवरी - महाशिवरात्रि

07 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पौष पूर्णिमा पर डुबकी लगाने का अनुमान
25 सेक्टर में बसा है महाकुंभ मेला
30 पांटून पुलों से होगा विश्व की सबसे बड़ी तंबुओं की नगरी में प्रवेश
04 हजार हेक्टेयर में फैला है महाकुंभ मेला क्षेत्र
02 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पार्किंग का निर्माण

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