मुंबई। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की हार से महाराष्ट्र के दो दलों शिवसेना (यूबीटी) एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) को भी करारा झटका लगा है। इस हार की प्रतिक्रिया शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में दिखाई दी। सामना ने लिखा है कि आप और कांग्रेस की लड़ाई से दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीतने में मदद मिली। सामना के संपादकीय में सवाल उठाया गया है कि अगर विपक्षी दल भाजपा के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते रहेंगे तो फिर विपक्षी गठबंधन की क्या जरूरत है।
एक दूसरे से लड़ने का परिणाम
लिखा गया है कि विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के सदस्य एक-दूसरे से लड़ रहे थे। जिससे दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीतने में मदद मिली। इस चुनाव में भाजपा 70 में से 48 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है। जबकि आप को केवल 22 सीटें मिलीं। कांग्रेस लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी में एक भी सीट नहीं जीत पाई। कहा गया है कि दिल्ली में आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे को नष्ट करने के लिए लड़ाई लड़ी, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए चीजें आसान हो गईं। यदि यह जारी रहा तो गठबंधन क्यों करें। दिल्ली चुनाव परिणामों से सीख न लेने से मोदी और शाह के नेतृत्व में श्निरंकुश शासनश् और मजबूत होगा।
उमर अब्दुल्ला ने भी की थी टिप्पणी
उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों का हवाला देते हुए सामना ने दावा किया कि कांग्रेस ने दिल्ली में कम से कम 14 सीटों पर आप की हार में सक्रिय रूप से योगदान दिया, जिसे टाला जा सकता था। दावा किया गया है कि हरियाणा में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी। पूछा है कि क्या कांग्रेस के आंतरिक तत्व जानबूझकर राहुल गांधी के नेतृत्व को कमजोर कर रहे हैं। केजरीवाल के खिलाफ अन्ना हजारे की टिप्पणियों की भी आलोचना की गई है। पिछले महीने हजारे ने दिल्ली के मतदाताओं से स्वच्छ चरित्र और विचारों वाले लोगों को वोट देने का आग्रह किया था। आरोप लगाया गया है कि हजारे मोदी सरकार के भ्रष्टाचार पर चुप रहे, जिसमें राफेल सौदे से जुड़ा विवाद शामिल है।