कुम्भनगर (राजेश शुक्ल)। महाकुंभ में एक 70 वर्षीय महिला रेखा को उसके परिवार के सदस्यों ने अस्पताल में भर्ती कराया और फिर लापता हो गए। रेखा का इलाज अब केंद्रीय अस्पताल में चल रहा है लेकिन उसके परिवार का कोई भी सदस्य ने देखभाल के लिए आगे नहीं आया। अस्पताल के डॉक्टर और नर्स उसकी देखभाल कर रहे हैं लेकिन रेखा को अपने परिवार की याद सता रही है।
अमरदीप भट्ट, महाकुंभ नगर। पति ने छोड़ दिया, बेटों ने मुंह मोड़ लिया, बेटियां भी भूल गईं। बुढ़ापे का इस तरह से दंश इस तरह से झेल रही मां अब क्या करे ? समय साथ नहीं दे रहा, आंखें किसी अपने की प्रतीक्षा कर रही हैं।
अस्पताल में पड़ी कलप रही है 70 वर्षीय रेखा। स्वयं को पड़ोसी और बेटी बता रही दो महिलाओं समेत तीन लोग रेखा को महाकुंभ के उप केंद्रीय अस्पताल सेक्टर 20, में भर्ती कराकर रफूचक्कर हो गए। इनके लिखाए हुए फोन नंबर कॉल करने पर उठ नहीं रहे हैं। रेफर किए जाने पर महिला का अब केंद्रीय अस्पताल में इलाज हो रहा है, तीमारदार के रूप में अब कोई नहीं।
यह है रेखा की पूरी कहानी
यह कहानी उस रेखा की है, जिसे दुनिया में अकेला छोड़ देने के लिए परिवार के लोगों ने महाकुंभ को चुना। सेक्टर-नौ के अस्पताल में गुरुवार को भर्ती कराया। इसके बाद लापता हो गए। देर शाम तक कोई नहीं लौटा। शुक्रवार को अस्पताल के डॉक्टरों ने यह सूचना उच्चाधिकारियों को दी, इसके बाद महिला को लाकर केंद्रीय अस्पताल के महिला वार्ड में भर्ती कराया गया।
रेखा ने बताया कि सब ने उसे छोड़ दिया है। बेटियां भी भूल गईं। उसका विवाह एक अधिवक्ता से 1973 में हुआ था। पांच बेटे, दो बेटियां हुईं। इसके बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उससे नाता तोड़ लिया। प्रयागराज के नारायणी आश्रम में रहती है, अब वहां भी उसका ठिकाना नहीं। कहा कि बुढ़ापे में कौन पूछता है, सब खर्चे से बचना चाहते हैं। महाकुंभ में आने का स्थान और कारण रेखा नहीं बता पा रही है। आंखों में बार-बार आंसू आ जाते हैं, जुबां कहती है कि क्या अपराध किया था मैंने जो ऐसी सजा मिली। वृद्ध महिला सेक्टर नौ के अस्पताल से लाई गई है। बेहतर इलाज किया जा रहा है। प्रतीक्षा करेंगे, यदि परिवार से कोई नहीं आएगा तो महिला को स्वस्थ होने पर वृद्धाश्रम भेजने की व्यवस्था की जाएगी। वृद्धावस्था में इस तरह से छोड़ कर चले जाना कष्टदायक है।-डॉ. मनोज कुमार कौशिक, सीएमएस केंद्रीय अस्पताल
परेशान मत हो मां, हम हैं न बेटियां
केंद्रीय अस्पताल में भर्ती रेखा को एक नर्स ने दिलासा दिया। जब रेखा कुछ खाने के लिए मांगते समय रो पड़ी तो नर्स ने उसे दुलारा, ‘मां परेशान क्यों होती हो, कोई नहीं आ रहा तो क्या हुआ, हम करेंगे सेवा, हम हैं न बेटियां’। नर्स का यह स्नेह बार-बार वृद्ध महिला के दुख पर अपनत्व की राहत देता रहा।