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यूएई में शहजादी को दे दी गई फांसी, केंद्र सरकार ने की पुष्टि

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बांदा। अपनों को दरिद्रता से उबारने के लिए विदेश गई शहजादी की कहानी आखिर पूरी हो गई। स्वजन के हर दुख हरने की उसकी हसरत अधूरी रह गई। एक बच्चे की मौत के आरोपों में अबूधाबी की जेल में बंद रही शहजादी अब कभी अपने वतन वापस न आ पाएगी। बेबस मां-बाप भी दिलासा और सांत्वना में जी रहे थे कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। सोमवार को केंद्र सरकार ने शहजादी को अबूधाबी में 15 फरवरी को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है।

आबूधाबी से किया था फोन

सोमवार सुबह नौ बजे मटौंध थाना क्षेत्र के गोयरा मुगली गांव में शब्बीर के घर पर हुजूम इकट्ठा था, हर किसी को शहजादी की फिक्र थी। दरअसल बीते 14 फरवरी की रात 12 बजे आबूधाबी जेल से फोन आया कि कल आपकी बेटी को फांसी दी जाएगी। हर कोई ये जानने को उत्सुक था कि क्या सच में फांसी हो गई या फिर रहम कर दिया गया। बेटी की यादों में खोए पिता शब्बीर फफक पड़ते हैं। कहते हैं- उनकी बेटी कोहिनूर थी। एक छोटी सी घटना में उसका चेहरा जल गया था। इसके बाद भी उसने कभी भी हार नहीं मानी। सामाजिक यातनाओं को सहा, लोगों के ताने सुने, फिर भी आगे बढ़ती रही। बेटी को फंसाया गया। एक साजिश के तहत उसे हत्या का आरोपित बनाया गया। वह लगातार चीखता रहा लेकिन उसकी कभी भी सुनी नहीं गई।

20 सितंबर 2024 को दी जानी थी फांसी

शहजादी को पिछले वर्ष 20 सितंबर को फांसी दी जानी थी, लेकिन दुबई में किसी राजनेता की मौत और प्राकृतिक आपदा के कारण आठ दिनों का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया था। उसके बाद शहजादी की फांसी टल गई थी। 20 सितंबर के बाद लगातार फांसी टल रही थी. ऐसे में शहजादी के स्वजन को उम्मीद थी कि शायद भारत सरकार से न्याय मिल जाए। तमाम जतन के बाद भी शहजादी के पिता शब्बीर बेटी को नहीं बचा सके। अंत में शहजादी को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई।

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