प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में पेंशन के लिए बुजुर्गों को 71 सीढियां चढ़नी पड़ती है। तीसरे तल पर समाज कल्याण विभाग है। विकास भवन में बुजुर्गों के लिए कोई सुविधा नहीं, बल्कि एक चुनौती बन चुका है। भवन की तीसरी मंजिल तक पहुंचने के लिए 71 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। न लिफ्ट, न कोई रैंप और न ही बैठने की सुविधा है। छड़ी के सहारे चलने वाले बुजुर्गों के लिए यह चढ़ाई सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक यातना भी है।
विकास भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय तक आने-जाने के लिए सीढ़ियां उन बुजुर्गों के लिए पहाड़ बन गई हैं, जो वृद्धा पेंशन नहीं मिलने की समस्या लेकर यहां आते हैं। कई बार सांस फूल जाती हैं, चक्कर आने लगता है, फिर भी पेंशन के लिए आना पड़ता है। बुजुर्गों के लिए रैंप, लिफ्ट और हेल्प डेस्क की मांग सालों से उठ रही है, लेकिन लेकिन फाइलें धूल फांकती रही हैं।
केस एक: तेलियरगंज निवासी शिवनाथ निषाद (73) कहते हैं, मार्च से ही विकास भवन के चक्कर काट रहा हूं। 10 बार आ चुका हूं। पेंशन के बारे में यहां कोई सुनने वाला नहीं है। बैकिंग समस्या बताकर टाल दिया जाता है। पेंशन के लिए बैंक और विकास भवन का चक्कर लगाते-लगाते थक गया हूं।
केस दो: मलाला खुर्द की रहने वाली वृद्धा इंदु कुमारी का कहना है कि एक साल से पेंशन नहीं मिल पा रही है। बेटे ने घर से निकाल दिया है। कार्यालय तीसरी मंजिल पर है। पांच बार आराम करने के बाद यहां तक आई हूं, लेकिन समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। यह कह कर वह रोने लगीं।
विकास भवन स्थित कार्यालय आने वाले अधिकांश बुजुर्गों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन न तो किसी अधिकारी की संवेदना जगी और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने ही इस समस्या को लेकर आवाज उठाई। सहसों निवासी रामनरेश बताते हैं कि ऊपर साहब लोग तो खुद एसी कमरे में बैठते हैं, लेकिन जिनके लिए योजनाएं बनती हैं, वो सीढ़ियों पर तड़पते हैं। केदार सोनार ने बताया कि प्रशासन की यह बेरुखी किसी बुजुर्ग की सीढ़ियों पर दम टूटने से मौत होने का इंतजार कर रही है।
यह एक गंभीर समस्या है। इसके समाधान के लिए कारगर उपाय किए जाएंगे। कार्यालय नीचे शिफ्ट करने के लिए वार्ता की जाएगी। - हर्षिका सिंह, मुख्य विकास अधिकारी।