प्रयागराज (राजेश सिंह)। ज्येष्ठ दशहरा पर आज प्रातःकाल शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान शुरू हो गया। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं।
गंगा में स्नान करने के लिए श्रद्धालु हर-हर गंगे के जयकारों के साथ संगम तट पहुंच रहे हैं। बुधवार शाम को धर्मशालाओं, आश्रमों और मंदिरों के परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण गंगानगरी में चहल पहल बढ़ गई।
यह है गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
पंडित कमला शंकर उपाध्याय ने बताया कि कपिल मुनि के श्राप से महाराजा सगर के साठ हजार पुत्र तथा अंशुमान के भाई भस्म हो गए थे। इन्हीं की मुक्ति के लिए महाराजा सगर के पुत्र अंशुमन ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयास किया था। लेकिन वह असफल रहे। इसके बाद उनके पुत्र दिलीप ने भी तपस्या की लेकिन वह भी असफल रहे।
दिलीप के पुत्र भागीरथ ने कई वर्षाे तक तपस्या की। तब जाकर ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उन्होंने भागीरथ को वरदान दिया कि गंगाजी को वह पृथ्वी पर भेजेंगे। लेकिन गंगा का वेग संभालने के लिए पृथ्वी पर कोई नहीं था तब भागीरथ ने भगवान शिव को प्रसन्न कर गंगा का वेग संभालने का अनुरोध किया। तब प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा माता को समा लिया। इसके बाद इन्हीं जटाओं से गंगा का अवतरण हुआ। इसके बाद गंगा बहती हुई कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची और महाराजा सगर के पुत्रों को श्राप से मुक्ति मिली। इसके बाद से गंगा का नाम भागीरथी भी पड़ा।