प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर ने आम जनजीवन प्रभावित कर दिया है। शहर के कई इलाके बाढ़ के पानी की आगोश में हैं। इन बस्तियों में रहने वाले लोग पलायन कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से बनाए गए बाढ़ राहत शिविरों में आश्रय लिया है। हालांकि इनका दर्द भी है, जो ये बयां कर रहे हैं।
बाढ़ राहत शिविर एनी बेसेंट स्कूल में शरण लेने वाली 58 वर्षीय सुषमा का दर्द छलका। उन्होंने बताया कि पूरी रात घर-गृहस्थी का सामान समेटने में बीत गई। खाद्य सामग्री समेत दूसरा छोटा-मोटा सामान ले आए हैं। बाकी पड़ोसियों के यहां रखा दिया। बाढ़ राहत शिविर में शरण जरूर ले ली है, लेकिन बाढ़ के पानी से घिरे घर की चिंता सुकून से बैठने नहीं दे रही है।
तीन दिन पहले तक इस राहत शिविर में सन्नाटा था। क्योंकि गंगा में जलस्तर घटने के बाद बाढ़ पीड़ित अपने घर चले गए थे। बाढ़ ने फिर से इन्हें राहत शिविरों की तरफ रुख करने को मजबूर कर दिया है। करीब एक हजार लोगों के यहां पर रहने की व्यवस्था है। शुक्रवार की दोपहर चार बजे तक 135 परिवारों के 569 लोग यहां पर शरण ले चुके थे। इसमें से ज्यादातर छोटा बघाड़ा व आसपास के इलाके के हैं।
मालती ने बताया कि करीब 15 दिन पहले भी बाढ़ आई थी। तब उनके घर से पानी काफी दूर था। इस बार उनके घर तक पानी पहुंच गया। अनीता ने बताया कि जिनके मकान दो मंजिल के थे, उन्होंने भूतल का हिस्सा खाली कर दिया। मकान एक मंजिल ही बना है। इसलिए, बाढ़ राहत शिविर में आना पड़ा। बाढ़ में घर को नुकसान न हो, यही चिंता सता रही है। अनिल, सुधीर, अनुराधा आदि ने भी कुछ ऐसी ही व्यथा सुनाई। कुछ यही हाल दूसरे बाढ़ राहत शिविरों में रहे।
पीड़ितों के आने का जारी है सिलसिला
एनी बेसेंट में बने राहत शिविर में पूरी रात बाढ़ पीड़ितों की आमद होती रही। काउंटर पर भीड़ लगी है। पंजीकरण के बाद पीड़ितों को बिस्तर और नास्ता व खाना दिया जा रहा है।
नशेड़ी रहेंगे शिविर से दूर
नशेड़ियों द्वारा बाढ़ राहत शिविर का माहौल न बिगाड़ दिया जाए, इस पर भी प्रशासन की नजरें हैं। एनी बेसेंट स्कूल के शिविर में इसे लेकर पोस्टर लगवाए गए हैं, जिसमें नशेड़ियों को राहत शिविर से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।