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नैनी सेंट्रल जेल में 90 दिनों में 9 बार अली से मिला था छोटा भाई

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। पांच करोड़ की रंगदारी मांगने और उमेश पाल हत्याकांड में साजिश के आरोपित माफिया अतीक के बेटे अली अहमद से मिलने के लिए उसका छोटा भाई आबान नैनी सेंट्रल जेल जाता था। करीब 90 दिनों में नौ बार आबान ने अपने बड़े भाई से मुलाकात की। सलाखों के पीछे उनके बीच लंबी-लंबी बातचीत होती थी।

इसकी जानकारी एलआइयू से लेकर जेल अफसरों को रहती थी, लेकिन बात बाहर नहीं आई। अब अली अहमद को झांसी जेल में शिफ्ट किए जाने के बाद दोनों भाइयों के मिलने का मामला उजागर हुआ, जिस पर तरह-तरह की चर्चा हो रही है। आबान का एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ है, जिसमें वह जेल के भीतर जाते हुए दिख रहा है, लेकिन उसकी पुष्टि सूरज वार्ता नहीं करता है।

माफिया अतीक के बेटे अली अहमद समेत कई अन्य के खिलाफ चकिया निवासी एक प्रापर्टी डीलर ने रंगदारी मांगने और धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया है। उस मुकदमे में वांछित अली ने कोर्ट में सरेंडर किया था, जिसके बाद न्यायिक हिरासत में जेल में रहा।

फरवरी 2023 में धूमनगंज में उमेश पाल और उसके दो सरकारी गनर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद अली से मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पुलिस ने अपनी जांच में पाया किया उमेश पाल की हत्या की साजिश में अली भी शामिल था, जिसके आधार पर उसे आरोपित बनाया गया था।

इसी बीच अली से उसके वकील मिलते रहे, लेकिन अन्य लोगों को अनुमति नहीं थी। जून 2025 में डीआइजी ने अली के बैरक में छापेमारी करते हुए तलाशी ली तो 1100 रुपये नकद मिले थे। इसके बाद उसकी गतिविधि पर निगरानी बढ़ाते हुए हाई सिक्योरिटी बैरक में भेज दिया गया था। इस घटना के बाद जुलाई से अतीक का सबसे छोटा बेटा आबान अपने बड़े भाई से मिलने के लिए जेल जाने लगा। आखिरी बार 17 सितंबर 2025 को मिलने पहुंचा था।

नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह का कहना है कि बंदी अली से मिलने के लिए उसका भाई आबान तीन महीने में करीब नौ बार आया था। वह साधारण वेशभूषा में आता था और उसके साथ वकील भी रहते थे। बंदी से हफ्ते में तीन बार मुलाकात करने का नियम है।

उमेश पाल हत्याकांड में हैं आरोपित

प्रदेश के चर्चित उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की हत्या के मुकदमे में अतीक का चौथा और पांचवां बेटा भी आरोपित हैं। हत्याकांड के वक्त दोनों नाबालिग थे, लेकिन अब अब बालिग हो गए हैं। चौथा बेटा कोलकाता में राजनीति शास्त्र की पढ़ाई कर रहा है तो पांचवां बेटा पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र में अपने रिश्तेदार के घर पर रहता है। इसी साल जनवरी में अतीक का चौथा बेटा लग्जरी कार से वाराणसी गया था और उसके बाद फ्लाइट से कोलकाता पहुंचा था। तब आर्थिक रूप से मदद करने वालों की जांच का दावा किया गया था, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ।

क्या कहते हैं डीआइजी जेल

डीआइजी जेल राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि जेल मैनुअल के अनुसार बंदी से परिवार के सदस्यों और अधिवक्ता का मिलने का नियम है। एलआइयू की रिपोर्ट के आधार पर ही बंदी अली से लोगों को मिलने दिया गया है।


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