मुंबई। बीएमसी के इस फैसले पर जैन संत ने कहा कि जो जगह मंजूर की गई हैं, वे दादर कबूतरखाने से चार-पांच और कुछ नौ किलोमीटर दूर हैं। क्या कबूतर इतनी दूर उड़कर जाएंगे? मौजूदा कबूतरखाने के दो किलोमीटर के इलाके में नई जगह दी जानी चाहिए।
मुंबई में दादर कबूतरखाना बंद करने पर शुरू हुआ विवाद थम नहीं रहा है। अब जैन संत निलेशचंद्र विजय ने मुंबई के आजाद मैदान पर बीएमसी द्वारा कबूतरखाना बंद करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया है। दादर कबूतरखाना में जैन समुदाय के लोग पारंपरिक तौर पर कबूतरों को दाना खिलाते आए हैं। हालांकि स्थानीय लोगों के विरोध और कबूतरों से फैलने वाली बीमारियों के चलते बीएमसी ने बीते कुछ समय पहले इस कबूतरखाने को बंद करने का आदेश दिया था।
बीएमसी के फैसले के खिलाफ जैन संत का विरोध प्रदर्शन
बीएमसी के फैसले के खिलाफ जैन संत निलेशचंद्र विजय ने दक्षिणी मुंबई में स्थित बीएमसी मुख्यालय के नजदीक अपना विरोध प्रदर्शन सोमवार से शुरू किया और उन्होंने संकेत दिए कि अगर बीएमसी ने उनकी मांगें नहीं मानी तो उनका यह विरोध प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक खिंच सकता है। बीएमसी ने हाल ही में मुंबई में चार जगहों पर कबूतरों को दाना खिलाने की नियंत्रित मंजूरी दी है। इसके तहत वर्ली रिजर्वेयर, अंधेरी पश्चिम में लोखंडवाला का मैंग्रोव वाला इलाका, एयरोली-मुंलुंड का चेक पोस्ट इलाका और बोरीवली पश्चिम का गोराई ग्राउंड इलाका शामिल है। बीएमसी ने सुबह 7-9 के बीच ही कबूतरों को दाना डालने का इजाजत दी है। बीएमसी ने ये भी कहा कि विशेषज्ञों की समिति के रिपोर्ट देने और अदालत के आदेश तक ये व्यवस्था अस्थायी तौर पर रहेगी।
वैकल्पिक जगह देने के बीएमसी फैसले का विरोध
बीएमसी के इस फैसले पर जैन संत ने कहा कि श्जो जगह मंजूर की गई हैं, वे दादर कबूतरखाने से चार-पांच और कुछ नौ किलोमीटर दूर हैं। क्या कबूतर इतनी दूर उड़कर जाएंगे? मौजूदा कबूतरखाने के दो किलोमीटर के इलाके में नई जगह दी जानी चाहिए।श् जैन संत ने धमकी दी कि अगर आजाद मैदान में उन्हें विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई तो वो दादर कबूतरखाना वाली जगह पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब है कि दादर कबूतरखाने का स्थानीय प्रशासन विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कबूतरों के बीट करने और कबूतरों से होने वाली बीमारियों से डरे हुए हैं। जब बीएमसी ने दादर कबूतरखाने को बंद करने का फैसला किया तो स्थानीय लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया। वहीं जैन समाज ने इसका विरोध किया। दरअसल बीती एक सदी से जैन समुदाय के लोग दादर कबूतरखाना वाली जगह कबूतरों को दाना खिलाते आए हैं और ये उनकी परंपरा से जुड़ा हुआ है।
