कोलकाता। बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के फैसले को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी उनके पार्टी महाचिव भतीजे अभिषेक बनर्जी से लेकर उनके दल के नेता व मंत्री एसआइआर का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की है कि वह अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए मंगलवार को कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगी। चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की है कि अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण चलाया जाएगा। यह एसआइआर का पहला चरण चार नवंबर से चार दिसंबर तक चलेगा। नौ दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा और सात फरवरी को अंतिम सूची जारी की जाएगी।
वहीं दूसरी ओर बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी उत्तर 24 परगना जिले में एसआइआर के माध्यम से घुसपैठियों को बाहर निकालने की मांग को लेकर जुलूस निकालेंगे। इस बीच भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीएलओ को एसआइआर प्रक्रिया को विफल करने के लिए धमकाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों के सभी बीएलओ प्रशिक्षण ले रहे हैं। हमें उम्मीद है कि वे बिना किसी डर के काम करेंगे। अगर ममता बनर्जी सोचती हैं कि वे उन्हें धमकाकर एसआइआर प्रक्रिया को रोक देंगी, तो वे गलत हैं। शिक्षकों का बीएलओ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है- कुनाल घोष
इस बीच, तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि राज्य सरकार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि शिक्षकों का बीएलओ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसआइआर प्रक्रिया शिक्षकों को नियमित घंटों से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करती है और इससे उनके लिए समस्याएं पैदा हुई हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग को इस बीएलओ की तैनाती के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी।