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रणनीति बिखरी, बल्लेबाजी ढही... टीम इंडिया को ये क्या हो गया

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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में बैकफुट पर है। टीम इंडिया के बल्लेबाज पहली पारी में बुरी तरह से फेल हुए। अभी टीम इंडिया की रणनीति पूरी तरह से फेल रही है और उसकी स्थिति देख लग रहा है कि उसके पास कोई विकल्प भी नहीं है।  

एक ऐसी विकेट पर जिसकी तुलना कुलदीप यादव ने सड़क से की थी, उस सपाट पिच पर भारतीय बल्लेबाजों का खेल अचानक से ऐसे बिखरा मानो वे एक मुश्किल पिच पर अपनी जान बचा रहे हों। तीसरे दिन भारतीय बल्लेबाजी का ध्वस्त होना केवल तकनीकी विफलता नहीं थी, बल्कि ये परिणाम था खराब रणनीति, अनिश्चित टीम चयन और गैर जिम्मेदाराना शॉट चयन का।

गुवाहाटी के बरसापारा स्टेडियम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन सोमवार को दक्षिण अफ्रीका के 489 रन के जवाब में भारत की पहली पारी केवल 201 रन पर सिमट गई। इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई 6 फुट 8 इंच लंबे मार्काे यानसेन ने। पहली पारी में 93 रन ठोकने वाले यानसेन ने छह विकेट लिए।

उनकी गेंदबाजी ने भारत की बल्लेबाजी की कमजोरियों को पूरी तरह उजागर कर दिया। दिन का खेल समाप्त होने तक दक्षिण अफ्रीका ने बिना विकेट खोए 26 रन बनाकर 314 रनों की बढ़त ले ली है। मुकाबला अब पूरी तरह से उसके कब्जे में है और यहां से मैच व सीरीज बचाना भारतीय टीम के लिए बड़ा मुश्किल होने वाला है।

हर मैच के साथ बदलती रणनीति

इस सीरीज ने यह साफ कर दिया है कि अब तक भारतीय टीम प्रबंधन अपने शीर्षक्रम और मध्यक्रम की भूमिकाओं को लेकर स्पष्ट नहीं है। पिछले मैच में वॉशिंगटन सुंदर को अचानक नंबर तीन पर भेजा गया तो इस मैच में वही भूमिका साई सुदर्शन को दे दी गई। टेस्ट मैचों में सुदर्शन का रिकॉर्ड पहले ही साधारण रहा है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें महत्वपूर्ण स्थान पर उतारना टीम की सोच पर सवाल खड़े करता है।

इसी तरह आलराउंडरों पर बढ़ता भरोसा भी उलटा पड़ता दिखा। इस टेस्ट में अक्षर पटेल को बाहर कर उनकी जगह नीतीश कुमार रेड्डी को शामिल किया गया। रेड्डी का चयन भी सवालों के घेरे में है। वह पहली पारी में केवल छह ओवर ही फेंक पाए, जिसमें 4.20 की इकोनामी से रन लुटाए। वह सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए मात्र 10 रन जोड़ सके। आस्ट्रेलिया में बनाए शतक को छोड़ दें तो उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है।

कब समझेंगे बल्लेबाज

भारतीय टीम के पतन की शुरुआत वहीं से हुई जहां जिम्मेदारी दिखनी चाहिए थी। भारत ने 95 रन के कुल स्कोर पर दो विकेट गंवाए थे लेकिन 122 रन पर पहुंचते-पहुंचते टीम के सात विकेट गिर गए। साई सुदर्शन (15) का आउट होना लगभग उसी तरह का था जैसा पिछले महीने अहमदाबाद में हुआ था। साइमन हार्मर की शॉर्ट गेंद पर बिना सोचे समझे पुल शॉट खेलना। न गेंद की ऊंचाई जांची और न क्षेत्ररक्षण को समझा। सुदर्शन मिडविकेट पर आसान कैच देकर पवेलियन लौट गए।

ध्रुव जुरैल की गलती तो और स्पष्ट थी। ऑफ स्टंप के बाहर धीमी शॉर्ट गेंद को उन्होंने ऐसे खींचा जैसे सामने एक टी-20 गेंदबाज हो। चायकाल से सिर्फ पांच मिनट पहले गेंद को छोड़ना सही विकल्प था, लेकिन उन्होंने वही किया जो नहीं करना था। यानसेन की शरीर पर निशाना साधती गेंदों ने जडेजा और नीतीश रेड्डी को भ्रमित किया। दोनों शॉर्ट गेंद का जवाब देने में असहज दिखे। रेड्डी का यह प्रदर्शन पहले ही मैच में उन पर जताए भरोसे पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

पंत ने भी किया निराश

टीम संकट में थी, विकेट गिर रहे थे, दबाव बढ़ रहा था और ऐसे समय कप्तान पंत से संयम की उम्मीद होती है। यानसेन ने उनकी प्रवृत्ति को भांपते हुए लंबाई और भी छोटी कर दी और पंत आगे बढ़कर एक बेतुका क्रॉस बल्ले से शॉट खेलने गए और गेंद बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर के दस्तानों में चली गई। इस विकेट के बाद स्कोर पांच विकेट पर 102 रन हो गया था। जब बाकी बल्लेबाज एक के बाद एक गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर लौट रहे थे तब वॉशिंगटन सुंदर (48) और कुलदीप यादव (134 गेंदों पर 19 रन) ने दिखाया कि इस पिच पर टिक कर खेलते तो रन बनाए जा सकते थे। दोनों ने लगभग एक पूरे सत्र में 62 रन की साझेदारी निभाई यानी यही धैर्य अगर शीर्ष क्रम दिखाता तो कहानी कुछ और हो सकती थी।

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