प्रयागराज (राजेश सिंह)। त्रिवेणी (संगम) तट पर तंबुओं की नगरी बसने लगी है। संतों और श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ गई है। जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति की संकल्पना साकार करने को श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने को लालायित हैं। इस बार 15 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान करने का अनुमान है। प्रशासन उसके अनुरूप तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है।
तीन जनवरी से शुरू होगा कल्पवास
तीर्थराज प्रयाग में अखंड तप कल्पवास तीन जनवरी-2026 से आरंभ हो जाएगा। इस बार कुंभ की भांति संयोग बन रहा है। पहली बार पांच स्नान पर्वों पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर एक राशि में चार ग्रह साथ रहेंगे, जिससे चतुर्ग्रहीय योग बनेगा। इस संयोग से सुधामृत योग बनेगा। जो स्नानार्थियों को कुंभ की भांति पुण्य की प्राप्ति कराएगा।माघ मास में संगम की रेती पर लाखों संत व गृहस्थ सुख-सुविधाओं का त्याग करके समर्पित भाव से साधना में लीन रहेंगे।
पूर्णिमा तिथि पर दुर्लभ संयोग: पंडित कमला शंकर उपाध्याय
ज्योतिषाचार्य पंडित कमला शंकर उपाध्याय के अनुसार तीन जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से माघ मेला और कल्पवास का शुभारंभ हो जाएगा। पूर्णिमा तिथि दो जनवरी की शाम 6.12 बजे आरंभ हो जाएगी। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर धनु राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र संचरण करेंगे। सूर्य शक्ति के संवाहक हैं। शुक्र ज्ञान देने वाले, मंगल राजशक्ति बढ़ाने वाले व बुध विद्या बढ़ाते हैं। इनका मिलन दुर्लभ संयोग है।
श्री उपाध्याय ने बताया कि इसके बाद माघ मेला का सबसे बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या 18 जनवरी को पड़ेगा। इसमें मकर राशि में मंगल, बुध, शुक्र व सूर्य संचरण करेंगे। वहीं, 23 जनवरी को वसंत पंचमी स्नान पर्व पर मकर राशि में मंगल, बुध, शुक्र और सूर्य संचरण करेंगे।
माघी पूर्णिमा पर इन ग्रहों का संचरण
एक फरवरी को पड़ रहे माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर भी मकर राशि में मंगल, बुध, शुक्र और सूर्य संचरण करेंगे। वहीं, अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि 15 फरवरी को पड़ेगा। इसमें कुंभ राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और राहु संचरण करेंगे।
एक राशि में चार ग्रहों का संचरण अलौकिक
माघ मेला के पांच स्नान पर्वों पर एक राशि में चार ग्रहों का संचरण अलौकिक है। वहीं, मकर राशि में मंगल, बुध, शुक्र और सूर्य संचरण का संचरण तीन स्नान पर्वों पर होना दुर्लभ संयोग है। यह संयोग स्नान पर्वों पर है। श्रद्धालु गंगा और संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाएंगे। इसकी वजह से सुधामृत योग बन रहा है। जैसे कुंभ मेला में श्रद्धालुओं को अमृत के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। उसी प्रकार अबकी माघ मेला में पुण्य प्राप्त होगा।
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को
ज्योतिषाचार्य भविष्य वक्ता पंडित कमला शंकर उपाध्याय के अनुसार कैलेंडर में 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान पर्व दर्शाया गया है, लेकिन उसका पुण्यकाल 15 जनवरी को पड़ेगा। 14 जनवरी की रात 9.39 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करके दक्षिणायण से उत्तरायण होंगे। इसके बाद संक्रांति पुण्यकाल आरंभ होगा, जो 15 जनवरी को मिलेगा। यहीं से देवताओं का दिन और दैत्यों की रात आरंभ होगी। उक्त स्नान पर्व पर मकर राशि में सूर्य और शुक्र संचरण करेंगे। ब्रह्म योग का संयोग भी रहेगा। वहीं, एक फरवरी की शाम 6.05 बजे शुक्रोदय होगा। इसके बाद समस्त शुभ कार्य का शुभारंभ हो जाएगा।
माघ मेला 2026 की प्रमुख तिथियां
- 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान पर्व (माघ मेला व कल्पवास का शुभारंभ)
- 14 /15 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान पर्व
- 18 जनवरी को मौनी अमावस्या स्नान पर्व
- 23 जनवरी को वसंत पंचमी स्नान पर्व
- 1 फरवरी को माघी पूर्णिमा स्नान पर्व (कल्पवास का समापन)
- 15 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान पर्व (माघ मेला का समापन)
