माघ मेले के पहले संतों ने तैयार किए महत्वपूर्ण प्रस्ताव, मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक लगाने की मांग
प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम की रेती पर तीन जनवरी से शुरू हो रहे माघ मेले के लिए साधु संतों का आगमन शुरू होने लगा है। इसके पहले यहां अलोप शंकरी मंदिर में हुई साधु संतों व विद्वत परिषद की बैठक में अहम प्रस्ताव तैयार किया गया। संतों ने एक स्वर में मांग करते हुए कहा, कि प्रयागराज को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए। यहां माघ मेला क्षेत्र व आसपास के क्षेत्रों में मांस मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। सभी प्रमुख संत व विद्वत जनों ने कहा, संगम को केंद्र मानकर पांच कोस की परिधि को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए।
बांग्लादेश में हिंदुओं के लगातार कत्लेआम पर चिंता व्यक्त करते हुए आक्रोश व्यक्त किया गया तथा सरकार से शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग की गई। कहा गया कि सनातन धर्म के लोगों के लिए तीर्थराज प्रयागराज सर्वश्रेष्ठ है। प्रमुख महत्व है, ऐसे में वैष्णव आचार्यों के लिए यह असहज हो जाता है कि खुलेआम मांस, मदिरा का प्रयोग हो रहा है। प्रस्ताव पास करके कहा गया कि तीर्थ क्षेत्र में मांस, मदिरा पर सार्वजनिक उपयोग और प्रदर्शन पर सख्ती से प्रतिबंध लगे।
प्रयागराज मेला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गई कि सनातन धर्म के इन तीर्थों के संरक्षण कार्य के लिए सभी तीर्थ और आश्रमों में सार्वजनिक पहचान के लिए बोर्ड लगाए जाएं । उनके बारे में भी लिखा जाए जिससे तीर्थ यात्री उस तीर्थ के महत्व को समझ सकें।
एक प्रस्ताव के तहत शास्त्रों के अनुसार प्रयागराज के देवता माधव के नाम घाटों का नाम हो। सभी जगह बोर्ड में इनका वर्णन किया जाये। घाटों की विशेष सफाई व्यवस्था का भी प्रस्ताव पारित किया गया। जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द इस क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र घोषित करे।
टीकरमाफी आश्रम के स्वामी हरिचौतन्य ब्रह्मचारी महराज ने कहा कि प्रयागराज विश्व में अलौकिक है महाकुंभ और आगे को देखते हुए इसको तीर्थ क्षेत्र जल्द से जल्द घोषित किया जाए तथा मांस, मदिरा का प्रयोग पूरी तरह बंद हो। महंत और परिषद के प्रमुख मार्गदर्शक संत यमुना पुरी ने कहा कि पंचकोश के क्षेत्र में सरस्वती विराजती हैं ऐसे में हिंसा और मांस मदिरा का प्रयोग सार्वजनिक तौर पर पूरी तरह प्रतिबंध लगना चाहिए।
न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि तीर्थराज को तीर्थ क्षेत्र सरकार घोषित करें और उसका विकास उसी के अनुरूप किया जाए। प्रस्ताव परिषद के समन्वयक वीरेंद्र पाठक ने रखे जिसपर राय रखने के बाद सभी ने एक स्वर से पास करके पास किया और इसे सरकार और प्रशासन के पास भेजने की संस्तुति की। संबोधित करते गदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती।
बैठक में आचार्य चंद्र देव फलहारी बाबा, जगदगुरु नारायणाचार्य स्वामी शाडिल्य महराज श्रृंगवेरपुर धाम, विपिन छोटे महराज टीकरमाफी, डॉ. ब्रजेंद्र मिश्र, विशाल, प्रो केबी पांडेय, शरद मिश्र, सुनीता मिश्र, डा प्रभाकर त्रिपाठी, शैलेंद्र अवस्थी, डा श्रवण कुमार मिश्र, रवि पाठक, अभिषेक मिश्र, विक्रम, राहुल दुबे, आशुतोष शुक्ला, सुधीर द्विवेदी, शशिकांत मिश्र, डा तेज प्रकाश चतुर्वेदी व अन्य रहे।
