प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह को झटका लगा है। 23 साल पहले वाराणसी के नदेसर इलाके में हुए शूटआउट मामले में आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। शूटआउट में धनंजय सिंह, उनके गनर और ड्राइवर घायल हो गए थे। इस मामले में इन्होंने पांच लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया था। इस आदेश को पूर्व सांसद ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिका को पोषणीय नहीं बना। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध केवल राज्य और समाज के खिलाफ होता है, व्यक्तिगत नहीं माना जाता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल राज्य के पास असामाजिक गतिविधियों को रोकने और निवारक कदम उठाने का अधिकार है, किसी व्यक्ति को नहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को एक बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने 2002 के जानलेवा हमले से जुड़े गैंगस्टर एक्ट मामले में आरोपियों को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को सही नहीं मानते हुए खारिज कर दिया है। वाराणसी के पहले 'ओपन शूटआउट' के रूप में चर्चित नदेसर टकसाल शूटआउट से जुड़े इस मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि असामाजिक गतिविधियों को रोकना राज्य का दायित्व है। कोई भी व्यक्ति राज्य के कार्य को हड़पने का हकदार नहीं है।
पूर्व सांसद (तत्कालीन रारी विधायक) धनंजय सिंह ने यूपी गैंगस्टर एवं असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 के तहत चार आरोपियों को वाराणसी के स्पेशल जज, गैंगस्टर एक्ट द्वारा बरी किए जाने के आदेश (29 अगस्त 2025) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस लक्ष्मी कांत शुक्ला की सिंगल बेंच ने धनंजय सिंह की क्रिमिनल अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध केवल राज्य और समाज के खिलाफ अपराध है, किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं।
यह मामला लगभग 23 साल पुराना है। चार अक्तूबर 2002 को वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र के नदेसर स्थित टकसाल सिनेमा हॉल के पास तत्कालीन विधायक धनंजय सिंह की गाड़ी पर जान से मारने की नीयत से अंधाधुंध फायरिंग की गई थी, जिसमें एके-47 जैसे ऑटोमेटिक हथियारों के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। यह वाराणसी का पहला 'ओपन शूटआउट' था।
इस घटना में धनंजय सिंह, उनके गनर और ड्राइवर समेत अन्य लोग घायल हुए थे। धनंजय सिंह ने बाहुबली विधायक अभय सिंह, एमएलसी विनीत सिंह, संदीप सिंह, संजय सिंह, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह उर्फ बबलू समेत अन्य अज्ञात के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
29 अगस्त 2025 को वाराणसी के स्पेशल जज, गैंगस्टर एक्ट सुशील कुमार खरवार ने साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए चारों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था, जिसे धनंजय सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान धनंजय सिंह के वकीलों ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता मूल मामले में घायल और शिकायतकर्ता हैं, इसलिए वह पीड़ित की परिभाषा में आता है और उसे अपील दायर करने का अधिकार है, जैसा कि बीएनएसएस की धारा 413 के तहत दिया गया है। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से एजीए ने तर्क दिया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध समाज के खिलाफ है, और यदि ऐसे प्रत्येक मामले के शिकायतकर्ता को अपील दायर करने की अनुमति दी जाती है, तो कार्यवाही की बहुलता बढ़ जाएगी। कोर्ट ने राज्य के तर्कों को स्वीकार करते हुए माना कि गैंगस्टर एक्ट जैसे मामलों में 'पीड़ित' के रूप में व्यक्तिगत कायतकर्ता की अपील पोषणीय नहीं है, और अंततः क्रिमिनल अपील को खारिज कर दिया गया।
