अंडवाटर ड्रोन से लेकर फ्लोटिंग रिवर लाइन तक
प्रयागराज (राजेश सिंह)। माघ मेले में इस बार स्नान के दौरान नदी में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए महाकुंभ मॉडल पर आधारित हाई-टेक सुरक्षा प्लान लागू किया जा रहा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि मेला आकार में भले ही महाकुंभ जितना बड़ा न हो, लेकिन सुरक्षा इंतजामों में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। भारी भीड़, बदलती जलधारा और स्नान पर्वों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए नदी के भीतर और किनारों पर विशेष तकनीकी इंटरवेंशन किए गए हैं।
अंडरवाटर ड्रोन और सोनार से रियल-टाइम निगरानी
सुरक्षा तंत्र में इस बार तकनीक की भूमिका सबसे अहम है। अंडरवाटर ड्रोन, सोनार जैसे उपकरणों का इस्तेमाल इसी कड़ी में उठाया गया कदम है। अंडरवाटर ड्रोन पानी के भीतर कई मीटर गहराई तक जाकर रियल-टाइम वीडियो भेजते हैं। तेज धारा या कम दृश्यता वाले क्षेत्रों में भी साफ विजुअल देते हैं। मलबा, गड्ढे, अचानक गहरा हिस्सा या किसी के फंसने की आशंका को पहले ही पहचान लेते हैं।
उधर सोनार पानी के भीतर वस्तुओं या लोगों की लोकेशन बताने में अत्यंत प्रभावी हैं। दुर्घटना की स्थिति में राहत टीम तक सटीक लोकेशन पहुंचाता है, जिससे खोज-राहत कार्य कई गुना तेज हो जाता है। इसी तरह लाइफबॉय (ऑटोमेटिक लाइफगार्ड) रिमोट से संचालित, बिना नाव या लाइफगार्ड के भी 1.5 किलोमीटर तक पहुंच सकता है। उच्च लहरों वाले हिस्सों में भी बैलेंस बनाए रखता है। किसी डूबते हुए व्यक्ति को पकड़कर तुरंत किनारे तक खींचता है।
फ्लोटिंग रिवर लाइन और डीप वॉटर बैरीकेडिंग क्यों बेहद महत्वपूर्ण?
1. डीप वॉटर बैरीकेडिंग 8 किमी
यह बैरीकेडिंग नदी में उस लाइन तक लगाई जाती है, जहां से आगे पानी अचानक गहरा हो जाता है।
इसके फायदे-
श्रद्धालुओं को अचानक गहरी धारा में जाने से रोकता है।
स्नान करने वालों को सुरक्षित दायरे में रखता है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए।
डूबने की घटनाओं में भारी कमी आती है।
राहत टीम का ध्यान सीमित दायरे में केंद्रित रहता है, जिससे निगरानी आसान होती है।
तेज धारा या अंधेरे हिस्सों को पहले ही अलग कर दिया जाता है।
2. फ्लोटिंग रिवर लाइन 2 किमी
यह नदी के भीतर नावों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए लगाई जाती है। यह तैरने वाली लाइन नदी में नावों के लिए एकतरफा मार्ग तय करती है।
इसके फायदे-
नावों की टक्कर या अव्यवस्थित भीड़ से होने वाले हादसों पर रोक।
स्नान कर रहे लोगों और नावों के रूट को अलग कर सुरक्षित दूरी बनाए रखती है।
राहत नावें बिना रुकावट तेजी से निकल सकती हैं।
भीड़भाड़ वाले दिनों में जल मार्ग का प्रवाह सुचारू रहता है।
पूरी नदी पट्टी पर बहुस्तरीय सुरक्षा तैनाती
सुरक्षा का पूरा ढांचा तैयार कर दिया गया है, जिसमें मानव संसाधन और तकनीक दोनों का संयोजन है।
मुख्य तैनाती
जल पुलिस थाना - 01
जल पुलिस कंट्रोल रूम - 01
जल पुलिस सब-कंट्रोल रूम - 04
पीएसी बाढ़ राहत दल - 05 कम्पनियां
एनडीआरएफ - 02 टीमें
एसडीआरएफ - 01 टीम
डीप वॉटर बैरीकेडिंग - 08 किमी
फ्लोटिंग रिवर लाइन - 02 किमी
मोबाइल पार्टियां - 06
क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) - 04 टीमें
आपात स्थिति में मिनटों में पहुंचेगी मदद
कंट्रोल रूम नदी के सभी संवेदनशील क्षेत्रों पर लगातार नजर रखेगा।
किसी भी ैव्ै पर फत्ज् तुरंत मौके पर पहुंचेगी।
ड्रोन और सोनार से मिली लोकेशन के आधार पर राहत टीम तेजी से कार्रवाई करेगी।
भीड़ बढ़ने पर मोबाइल पार्टियां गश्त तेज कर देगी।
सुरक्षित स्नान व आयोजन ही उद्देश्य
जल पुलिस प्रभारी रविंद्र सिंह के अनुसार, माघ मेला 2026 में नदी सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी गई है। उन्नत तकनीक, प्रशिक्षित टीमें और मजबूत बैरीकेडिंग के संयोजन से इस बार स्नान पर्वों को पूरी तरह सुरक्षित बनाने का प्रयास है।
