प्रयागराज (राजेश सिंह)। जनपद के हकीमपट्टी गांव के मजरे सराय मंसूर में स्थित ग्रामसभा के तालाब संख्या 153 पर अवैध कब्जे का सिलसिला जारी है। लगभग आठ बीघे में फैले इस तालाब की भूमि पर मिट्टी डालकर पक्के निर्माण किए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कभी विस्तृत जलभराव क्षेत्र रहा यह तालाब अब बाउंड्रीवाल और मकानों में तब्दील हो रहा है, जिससे उनमें भारी आक्रोश है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कुछ स्थानीय व्यक्तियों ने राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से तालाब की इस भूमि को भूमिधर श्रेणी में दर्ज कराकर करोड़ों रुपये में बेच दिया है। उनका दावा है कि इस अवैध कब्जे में दो प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल हैं। इनमें से एक जिला पंचायत राज विभाग में कार्यरत है, जबकि दूसरा न्यायिक सेवा से जुड़ा बताया जाता है। इन पर अपने पद का दुरुपयोग कर तालाब की जमीन पर पक्का निर्माण कराने का आरोप है।
ग्रामीणों के अनुसार, पूर्व में तालाब में खड़े पेड़ों को भी काटकर बेच दिया गया था। इस अवैध गतिविधि के कारण बरसात के दिनों में क्षेत्र में गंभीर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने कई बार हल्का लेखपाल, नायब तहसीलदार और उपजिलाधिकारी को इस संबंध में प्रार्थनापत्र दिए हैं। हालांकि, उनकी शिकायत के बावजूद न तो निर्माण कार्य रोका गया और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
अब ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल अवैध कब्जा हटाने, तालाब को पुनः चिह्नित करने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब योगी सरकार और जिला प्रशासन तालाबों तथा सरकारी भूमि से अवैध कब्जे हटाने के लिए अभियान चला रहे हैं, जिससे राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की कथित मिलीभगत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
