धनुष यज्ञ की रामलीला में उमड़ी दर्शकों की भारी भीड़
मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
मेजा खास के रामलीला मैदान में पांचवें दिन कलाकारों द्वारा धनुषयज्ञ की लीला का मंचन किया गया। इसे देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
सीताजी के स्वयंवर में जनक के आमंत्रण पर देश देशांतर के राजाओं का आगमन हुआ।राजा जनक स्वयंवर सभा में रखे शिवधनुष का पूजन करते हैं और सभा में बंदीजनों ने राजा जनक का प्रण सबको सुनाते हैं कि जो भी इस धनुष पर प्रत्यंचा चढाने में सफल होगा,उसके साथ जनकनंदनी का विवाह होगा। धनुषयज्ञ के आयोजन का समाचार सुनकर स्वयंवर सभा में लंकापति रावण पहुंचता है। उधर राजा बलि के पुत्र बाणासुर को आकाशवाणी से रावण के स्वयंवर सभा में पहुंचने का समाचार मिला। वह आकर रावण से संवाद करता है। रावण और बाणासुर के संवादों को सुनकर दर्शक रोमांचित हो उठे। अंतत: रावण स्वयंवर सभा को छोडकर लंका वापस लौट जाता है और राजा जनक बाणेश का आभार ज्ञापित करते हैं। इधर सारे राजा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर बल्कि उसे तिल भर हिला तक नहीं पाते हैं तो राजा जनक अधीर हो उठे और विलाप करते हैं। गुस्से में आकर सबको ताना देते हैं और पृथ्वी को वीरों से खाली बता देते हैं। इस बात से लक्ष्मणजी क्रोधित हो जाते हैं और अपनी प्रतिक्रिया संवादों से देते हैं। लक्ष्मण को राम शांत करते हैं और फिर गुरू विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम शिवधनुष भंग कर देते हैं। धनुष टूटते ही जय सियाराम के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। इस मौके पर अध्यक्ष अमित यादव,डायरेक्टर लालजी मिश्र,डिप्टी डायरेक्टर संजीव सिंह, आय व्यय निरीक्षक तौलन प्रसाद,उपाध्यक्ष राहुल मिश्र,सुधीर गुप्ता,चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव,मनीष श्रीवास्तव,अर्जुन प्रजापति,नरेंद्र सिंह,सुनील शर्मा, शुद्धू,कैलाश शर्मा,सुरेंद्र कोतर्या,धीरज मिश्र आदि मौजूद रहे।