प्रतापगढ़ (राजेश सिंह)। दिल्ली में गोली मारकर आत्महत्या करने वाले दरोगा का शव मंगलवार को घर लाया गया तो परिजनों संग पूरे गांव में चीत्कार मच गया। अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ जुट गई। डेढ़ घंटे तक शव अंतिम संस्कार के लिए दरवाजे पर रखा रहा। पुलिस की अगुवाई में शव का अंतिम संस्कार शृंगवेरपुर घाट पर वैदिक रीति से किया गया।
हथिगवां थाना क्षेत्र के लोहारन का पुरवा समसपुर निवासी मनोज विश्वकर्मा (34) पुत्र स्व. माता प्रसाद विश्वकर्मा 2015-16 बैच के दरोगा रहे। इस समय उनकी तैनाती आजमगढ़ के देवगांव कोतवाली में थी। वहीं से किसी आरोपित को पकड़ने टीम के साथ हरियाणा गए थे। उसके नहीं मिलने पर वह दिल्ली आए, जहां पहले अपनी बहन से मिले, फिर वह मित्र के घर चले गए। रविवार की रात मित्र के घर में बंद कमरे में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार की सुबह नौ बजे जब दरोगा मनोज विश्वकर्मा का शव घर पहुंचा तो पहले से इंतजार में बैठे परिजन और गांव के लोगों में चीत्कार मच गया। अंतिम दर्शन को भीड़ जमा हो गई। दरोगा ज्ञानेन्द्र कुमार की देखरेख में अंतिम संस्कार शृंगवेरपुर गंगा घाट पर किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
बूढ़ी मां को लगा गहरा आघात
हथिगवां के लोहारन का पुरवा समसपुर गांव के माता प्रसाद विश्वकर्मा फायर ब्रिगेड में तैनात थे। उनके दो बेटे मनोज और आनंद थे। ड्यूटी के दौरान माता प्रसाद की वर्षों पूर्व मौत हो गई थी। उनकी पत्नी कुसुम देवी ने यह सोचकर संतोष किया कि बेटे मनोज और आनंद उनका सहारा बनेंगे। 2016 में जब मनोज विश्वकर्मा दरोगा बने तो बूढ़ी मां कुसुम की खुशी का ठिकाना न रहा। 2017 में मनोज की शादी प्रतापगढ़ में अधिवक्ता पारसनाथ की बेटी रीता देवी से की। रीता देवी से आठ साल की एक बेटी पीहू है। मनोज का परिवार प्रयागराज के शांतिपुरम में रहता है। आनंद विश्वकर्मा प्रयागराज उच्च न्यायालय में हैं। मनोज के गोली मारकर आत्महत्या की जानकारी मिलते ही बूढ़ी मां कुसुम देवी के सारे सपने बिखर गए। उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। यही हाल रीता और मासूम बेटी पीहू का रहा।
हथिगवां के दरोगा के साथ की थी ट्रेनिंग
दरोगा मनोज विश्वकर्मा का शव गांव आया तो सुरक्षा के लिए हथिगवां थाने के दरोगा ज्ञानेन्द्र कुमार टीम के साथ पहुंचे। शव देखते ही पहचान लिया। दरोगा ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि 2015-16 में एक साथ सीतापुर में ट्रेनिंग की थी। महीनों साथ रहने के साथ दोनों घुलमिल गए थे। विश्वास नहीं हो रहा कि मनोज ने खुद को गोली मार ली।
आत्महत्या के कारणों को लेकर रही चर्चा
दरोगा मनोज विश्वकर्मा बहुत सुलझे हुए और विवेचनाओं के जानकार दरोगा थे। ऐसी कौन सी बात हो गई जिससे आहत होकर मनोज ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस बात को लेकर गांव के लोगों में चर्चा रही। आत्महत्या के कारणों को लेकर कोई कुछ नहीं बता सका। बस एक दूसरे से लोग चर्चा ही करते रहे।