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ललिता गर्ग की हत्या को आत्महत्या बनाने की साजिश: देवेंद्र गर्ग

SV News

घटना में तुरंत न्याय दिलाए जाने की मांग 

पाली, राजस्थान (सरदार कर्मपाल सिंह सवाली)। जिले के बाली विधानसभा क्षेत्र के गांव बोया की मासूम नारी शक्ति ललिता पति और ससुराल के पक्ष आए दिन मारपीट करने के कारण हुई मौत आत्महत्या या हत्या है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस मामले को प्रभावशाली हस्तियों ने इस हत्या को एक आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है इस बेटी केज भाई देवेंद्र गर्ग ने मीडिया को रोते हुए घटनाक्रम के बारे में बताया बहुत बार उनके ससुराल पक्ष की शिकायतें आती रहती और मारपीट करके तंग परेशान करते रहे है। ललिता को पति पर शक था कि वह किसी दूसरी जगह अवैध संबंध में लिप्त पाया जा रहा था इसी प्रकार नहीं घर में मारपीट क्लेश होता था।
बाली के निकटवर्ती गांव बोया में ललिता पुत्री मनोहर लाल गर्ग निवासी बोया की शादी 2017 में पालड़ी एम (सिरोही) निवासी जितेंद्र पुत्र रणछोड़ लाल गर्ग के साथ सामाजिक रीति रिवाज के तहत हुई थी, जिसकी हत्या कर, आत्महत्या का रुप देने की कोशिश की गई। ललिता के परिवार व स्वयं द्वारा लिखित दैनिक दिनचर्या नोट के आधार पर ललिता अपने पति व ससुराल वालों से बहुत दुःखी थी । पति का किसी अन्य लड़की से अफेयर चल रहा था, इस वजह से ललिता का पति उसे आये दिन तंग व परेशान करता था, ताकि आसानी से तलाक दे दे। इतनी मारपीट करने व हद तक परेशान करने के बाद भी ललिता ने धैर्य नहीं खोया और पति को समझाने की कोशिश करती रही। लेकिन बात नहीं बनते देख पति जितेन्द्र ने आखिरी बार दिनांक 4/6/23 भारी मारपीट की जिसमें ललिता की मौत हो गई, और ससुराल वालों ने एक मत व एक राय होकर माहौल इस तरह क्रियेट किया जैसे ललिता ने आत्म हत्या की हो। दिनांक 3/6/23 को ललिता ने आखिरी बार फोन कर अपनी मां व भाई को स्थिति से अवगत कराया, मगर सामाजिक कार्यक्रम में व्यस्त होने की वजह से समय पर नहीं पहुंच सके। इनके भाई देवेंद्र गर्ग और परिजनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीजेपी राजस्थान पुलिस जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक से मांग करते हुए कहा इस घटनाक्रम की जांच पड़ताल खुफिया एजेंसी से करवाकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए। ललिता की स्वर्गीय आत्मा व परिवार वालों ने ललिता के लिये न्याय की मांग की है ताकि दोषियों को सजा मिल सके। अब देखना यह है कि क्या पुलिस प्रशासन ललिता को अपनी बेटी मानकर न्याय दिला पाते हैं या राजनैतिक दबाव में आकर उनके आगे घुटने टेकते हैं।

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