एसएचओ ने बदला लुक
प्रयागराज (राजेश सिंह)। लेडी डॉन व माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन व माफिया अशरफ की पत्नी जेनब फातिमा का कई बार लोकेशन हटवा गांव में मिल चुका है। प्रयागराज उमेश पाल हत्याकांड को बीते 122 दिन आज पूरे हो चुके हैं.लेकिन यूपी पुलिस व एसटीएफ अभी तक अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को नहीं पकड़ पाई है। प्रयागराज उमेश पाल हत्याकांड को बीते 122 दिन आज पूरे हो चुके हैं, लेकिन यूपी पुलिस व एसटीएफ अभी तक शाइस्ता परवीन को नहीं पकड़ पाई है। शाइस्ता परवीन पर 50 हजार का इनाम है, वहीं अशरफ के साले पर एक लाख का इनाम घोषित है। बमबाज गुड्डू मुस्लिम व शार्प शूटर साबिर पर 5 लाख रुपए का इनाम है।
पुलिस इन सभी को पकड़ने के लिए 122 दिन से तमाम उन ठिकानों पर दबिश दे रही है, जहां इनके छुपे होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही कई बार लेडी डॉन व उसके शूटर फरार हो जाते हैं, इसीलिए पुलिस ने भी अब नया फंडा निकाला है, इन सभी को पकड़ने के लिए कुछ पुलिसकर्मियों ने अपना लुक तक बदला है, ताकि पुलिस के हाव भाव व उनके चेहरे धोखा खा जाए। सूत्र बताते हैं कि माफिया अतीक गैंग के तंत्र इतने मजबूत है कि इनको पता है कौन सी टीम के कौन से अधिकारी पकड़ने के लिए लगे हुए हैं। सभी के चेहरे तक पहचानते हैं। इसीलिए कुछ पुलिसकर्मियों ने अपना लुक बदला है, ताकि इनके गैंग के लोग पहचान ना सके। उन्ही में एक नाम है धूमनगंज थाना प्रभारी का जिन्होंने अपना लुक बदला है। सूत्र बताते हैं कि लुक बदलने के पीछे का मकसद है कि लेडी डॉन व शूटर उनके गिरफ्त में आ सके।
यूपी की लेडी डॉन व अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन व अशरफ की पत्नी जेनब फातिमा का कई बार लोकेशन हटवा गांव में मिल चुका है.गांव के अंदर लोगों की एकता व बुर्का पहने महिलाओं की टीम के चलते पुलिस कई बार पकड़ने में विफल तक रही है.लेकिन पुलिस अब चूक नहीं करना चाहती है. इसीलिए वह हर तरीके का फंडा अपना रहे हैं। जिस तरह से लेडी डॉन व उसके साथ चलने वाले शूटर लगातार अपने हुलिया बदलकर पुलिस को धोखा दे रहे हैं तो वही फार्मूला अब पुलिस भी अपना रही है, ताकि वह लोग भी धोखा खा सकें। इस गांव में माफिया ब्रदर्स के लिए है हमदर्दी,पुरामुफ्ती थाना क्षेत्र में पड़ने वाला हटवा गांव अशरफ का ससुराल है.इस गांव के लिए अशरफ ने बहुत कुछ किया है। इसीलिए इस गांव के हर एक व्यक्ति के अंदर माफिया ब्रदर्स के लिए हमदर्दी है, उनके इस गांव में छिपने का बेहद सेफ ठिकाना माना जाता है, इसीलिए पुलिस को कई बार लोकेशन भी मिली है.पुलिस उन तक पहुंची भी लेकिन, पुलिस को चकमा देकर वहां से भाग जाने में सफल रहे। इसके पीछे भी गांव वालों का सपोर्ट रहा है। इस गांव में बने लगभग घर ऐसे हैं जो एक दूसरे के दरवाजे एक दूसरे के घर से कनेक्ट है। पुलिस जब भी किसी घर में दबिश देती तो एक घर के दरवाजे से निकल कर दूसरे घर के अंदर प्रवेश हो जाते हैं। पुलिस तक कंफ्यूज हो जाती की आखिरी यह गए कहां? हर घरों में घुसकर दबिश देना भी संभव नहीं है। ऐसा पुलिस अफसरों का कहना है।