प्रयागराज (राजेश सिंह)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर में 2007 में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले परवेज परवाज को सामूहिक दुष्कर्म मामले में हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद महाधिवक्ता कार्यालय में खलबली मची हुई है। शासकीय अधिवक्ता के कार्यालय से निलंबित किए गए समीक्षाधिकारी (रिकॉर्ड कीपर) विजय यादव को महाधिवक्ता कार्यालय से संबंद्ध कर दिया गया है। इसके साथ उसके खिलाफ जांच भी शुरू हो गई है। अपर विधि परामर्शी को इस मामले कीजांच के आदेश दिए गए हैं। इसके पूर्व इसी मामले में अपर महाधिवक्ता शिव कुमार पाल और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम श्रीनारायण मिश्र को पहले ही हटा दिया गया है। उसके बाद समीक्षाधिकारी को निलंबित किया गया है। लंबे समय के बाद महाधिवक्ता कार्यालय में किसी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
महाधिवक्ता कार्यालय में चर्चा है कि गोरखपुर के सामूहिक दुष्कर्म में निचली अदालत से दोषी करार दिए गए परवेज परवाज की अपील पर सुनवाई केदौरान यूपी सरकार की ओर से प्रभाव पैरवी नहीं हो सकी। इसलिए उसे सामूहिक दुष्कर्म के मामले में राहत मिल गई और कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी भी मंजूर कर ली थी। चर्चा है कि समीक्षाधिकारी ने इस फाइल को संबंधित सरकारी अधिवक्ता को सौंपा ही नहीं। इस वजह से सही पैरवी नहीं हो सकी। इसी वजह से उसे निलंबित किया गया।
मामले में अपर विधि परामर्शी की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद और लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। परवेज परवाज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के 2007 में दिए गए भडक़ाऊ भाषण के जरिए दंगा भडक़ाने में आपराधिक केस चलाने की मांग की। शासन ने सबूत पर्याप्त न होने के कारण मुख्यमंत्री पर अभियोग चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। मामला हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो चुका है।