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श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन बताई जीवन जीने की कला,कल होगा विशाल भंडारा

 

Svnews

मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है। मेजा के गुनई गहरपुर गांव में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का गुरुवार को समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन कथा व्यास पहड़ी महादेव मंदिर के पुजारी आचार्य बृजबिहारी दास जी महाराज ने कथा का सारांश कह जीवन को जीने की कला भी समझाई। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को निहाल भी किया। गुनई गहरपुर में 25 अगस्त से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया था। कथा के अंतिम दिन गुरुवार को महाराज बृजबिहारी दास जी ने सातों दिन की कथा का सारांश किया। उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए, यह भी समझाया। कथा वाचक ने सूर्यदेव से सत्रजीत को उपहार स्वरूप मिली मणि का प्रसंग सुनाते हुए मणि के खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा समेत से श्रीकृष्ण सभी आठ विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी बनी हुई 16 हजार 100 कन्याओं को मुक्त करवाया और उन्हें अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी। उन्होंने सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाया। कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया। मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा। गौवध का विरोध और गौ सेवा करने पर भी जोर दिया। अंत में फूलों की भव्य होली खेली गई।कथा समापन के बाद हवन,आरती और फिर प्रसाद वितरित किया गया। कल विशाल भंडारा होगा।श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन स्व.प्रेमसागर द्विवेदी और स्व.करुणासागर के श्राद्ध के उपलक्ष्य में किया गया।कथा के मुख्य यजमान  श्रीमती अनार कली, श्रीमती जय देवी , नीरज द्विवेदी एवं विद्या सागर द्विवेदी रहे।कार्यक्रम के प्रमुख सहयोगी कमला कान्त, रमेश चन्द्र, सुनील, संदीप,अनिल,कुलदीप, धीरज, शिवम, ज्ञान  जी, सुभाष और  सत्यम ने सराहनीय यूओगड़न दिया।कार्यक्रम में प्रमुख श्रोतागण राजेन्द्र प्रसाद तिवारी,कमलेश चंद्र मिश्र, मंगला प्रसाद तिवारी,भाजपा मण्डल मंत्री मेजा संजय तिवारी 'गुड्डू' , राम कृष्ण तिवारी, पंकज राव 'प्रधान ' अतुल द्विवेदी, सूरज शुक्ला, आशीष द्विवेदी, शेष मणि दुबे, रवीन्द्र तिवारी, संतोष दुबे, जगदीश पाठक, गौरी शंकर, दिनेश द्विवेदी, राम जी तिवारी,प्रेम शंकर तिवारी, अमरेश एवं रवि शंकर आदि कथा के साक्षी बने।

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