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चार मुल्जिम, पांच गवाहों की मौत, तीन लापता और 25 साल बाद मुद्दई बोला- मैंने तहरीर ही नहीं दी

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। चार मुल्जिम, पांच गवाहों की मौत, तीन लापता और 25 साल बाद मुद्दई बोला- मैंने तहरीर ही नहीं दी। यह चौंकाने वाला वाक्या इलाहाबाद सत्र न्यायालय में एसी/एसटी एक्ट और गैर इरादतन हत्या मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया है। अदालत ने सात में से शेष बचे दो मुल्जिमों को बेगुनाह करार देते हुए बरी कर दिया। वहीं, मुद्दई के खिलाफ झूठे साक्ष्य गढ़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने और सरकारी अनुदान की वसूली का आदेश दिया है।
यह आदेश विशेष न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दिया। वर्ष 1998 में कालू का पूरा ग्राम निवासी जोखू की लिखित तहरीर पर थाना करछना में पप्पू राम, बजरंगी, कृष्णकांत पटेल, बृजेश, संगम लाल, अक्षैवर, बंशी लाल के खिलाफ एसी/एसटी एक्ट और गैर इरादतन हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
पुलिस ने विवेचना के बाद दाखिल आरोप पत्र पर शुरू हुए विचारण के दौरान सात में से चार मुल्जिम पप्पू राम,कृष्णकांत पटेल, बृजेश, संगम लाल और पांच गवाह गिरजा शंकर, नचकऊ, छोटकऊ, कुल्लन और भुल्लन की मौत हो गई, जबकि मुल्जिम अक्षैवर गवाह शब्बीर और मिठाई लाल दशकों से लापता है। इसलिए विचारण केवल बजरंगी और बंशी का किया गया।
मुल्जिमों पर जोखू के भाई कल्लू के ऊपर पत्थर रख कर चढ़ने को आरोप है, जिसकी इलाज के दौरान माैत हो गई। गवाही के दौरान जोखू ने अदालत को बताया कि उसके भाई कल्लू, भतीजे नचकऊ और कल्लू के दामाद मिठाई लाल ईंट के भट्टे पर काम करते थे। 25 साल पहले काम के दौरान कुछ लोग गाली-गलौज देते हुए लाठी-डण्डे, फरसा लेकर कल्लू पर हमला बोल दिए। लेकिन उसने मारते हुए किसी को न देखा न सुना और न ही तहरीर दी। गांव के रांजिश रखने वालों ने पुलिस से मिल कर कोरे कागज पर उसके अंगूठे का निशान लगवाया था।
दशकों चली विचारण प्रक्रिया के बाद चौंकाने वाले इस वाक्ये पर कोर्ट ने कहा कि झूठे साक्ष्य के कारण आरोपियों को विचारण की लंबी मानसिक वेदना सहनी पड़ी है। कोर्ट ने बंशी और बजरंगी को बेगुनाह करार देते हुए आरोपों से बरी कर दिया। साथ ही झूठे साक्ष्य गढ़ने के अपराध के लिए जोखू के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने और एसी/एसटी अधिनियम के तहत मिले सरकारी अनुदान की वसूली का आदेश दे दिया।

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