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यूपी में गर्माई सियासत, 48 घंटे में दूसरी बार जेपी नड्डा से मिले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

SV News

लखनऊ (राजेश सिंह)। यूपी में लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी में मची उथल-पुथल शांत होने का नाम नहीं ले रहीं है। एक तरफ नेताओं की बयानबाजी को लेकर सरकार घिरी हुई है तो दूसरी तरफ यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर तरह तरह की अटकलबाजी चल रही है। इस बीच केशव प्रसाद ने मंगलवार की शाम नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से फिर मुलाकात की है। केशव 48 घंटे के अंतराल में नड्डा से दूसरी बार मिले हैं। इसे लेकर नई तरह की कयासबाजी शुरू हो गई है। इससे यहां की सियासत गर्मा गई है। इससे पहले रविवार को ही नड्डा और केशव की लखनऊ में मुलाकात हुई थी। हालांकि केशव के एक करीबी ने इसे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हुई भेंट बताया। केशव के साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के भी भाजपा अध्यक्ष से मिलने की चर्चा है।
लोकसभा के चुनावी नतीजों के बाद से भाजपा हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करने के प्रयास में जुट गई है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की रविवार को हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के भाषण कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने वाले ही थे।
केशव ने बैठक में फिर दोहराया था कि संगठन सरकार से बड़ा है। उसके बाद जेपी नड्डा से केशव प्रसाद मौर्य की मुलाकात को यूपी के मौजूदा सियासी हालात से जोड़कर देखा जा रहा है। केशव मौर्य इधर कुछ समय से सरकारी बैठकों में भी नहीं आ रहे थे। भाजपा के कई सहयोगी दलों के नेताओं और भाजपा के प्रमुख लोगों ने भी केशव से अलग से मिलने का दौर शुरू किया था। वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को लेकर बताया गया कि वे दिल्ली होते हुए पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने मुरादाबाद गए हैं।
वाराणसी की अजगरा विधानसभा सीट से विधायक त्रिभुवन राम ने कहा कि संविधान और आरक्षण को लेकर इंडिया गठबंधन ने भ्रम फैलाया मगर हम इसकी कोई प्रभावी काट नहीं कर सकें। लखनऊ में मीडिया से बातचीत में टी. राम ने कहा कि हम मानकर चल रहे थे कि बसपा का वोट बहनजी के साथ रहेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। भाजपा ने जिस बोट बैंक को मायावती के भरोसे छोड़ दिया था, वो उसे संभाल नहीं पाई। 2022 की तुलना में 2024 में बसपा का करीब 3.5 फीसदी वोट इंडिया गठबंधन में चला गया। उन्होंने कहा कि संगठन बड़ा है और बदलाव अच्छे के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के जो प्रत्याशी लगातार जनता के बीच रहे, उन्हें जनता ने सम्मान दिया। वहीं जो लोग जनता और कार्यकर्ताओं से बिल्कुल कटे रही, उनको चुनावी नतीजों में निराशा झेलनी पड़ी।

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