Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 28 साल पुराने मामले को लेकर सख्त

SV News

अधिवक्ताओं की बहस पर सुनाया गया फैसला,बयान होगे दर्ज

मेजा/मांडा, प्रयागराज (राहुल यादव)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मेडिकल करने वाले डॉक्टर के साथ काम करने वाले फार्मासिस्ट, विवेचक और एफआईआर लेखक का बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश राम मनोहर नारायण मिश्रा मामला 9 की अदालत ने रामबिहारी द्विवेदी की ओर दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर दिया।

प्रयागराज के रामबिहारी द्विवेदी ने 1996 में सिविल लाइन थाने में उमाशंकर व विनोद पर चोरी व मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया। ट्रायल पूरा हो गया और मुकदमा चार्ज बनने की स्थित में पहुंच गया। इस दौरान वादी ने प्रार्थनापत्र दिया कि एफआईआर लेखक, विवेचक व डॉक्टर का बयान कराया जाए। इस केस में

इनके बयान महत्वपूर्ण हैं। इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। इस आदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

याची के अधिवक्ता दिवांशु तिवारी, शैलेश उपाध्याय ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने 24 सितंबर 2014 के आदेश में कहा कि मामला 18 साल पुराना था और 12 साल का समय देने के बाद भी विवेचक व अन्य से पूछताछ नहीं की जा सकी। इस आधार पर गवाही बंद कर दी गई। जबकि, विवेचक व अन्य की गवाही महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने पक्षों को सुनने के

बाद संबंधित अस्पताल के फार्मासिस्ट, एफआईआर लेखक व विवेचक को गवाही के लिए बुलाने को ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया। विवेचक के न होने पर उसके साथ उस मामले में काम करने वाले अन्य पुलिसकर्मी को बुलाया जाए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad