प्रयागराज (केएन शुक्ल 'घंटी')। एग्लों बंगाली इंटर कालेज प्रयागराज पुस्तक मेले में राष्ट्रीय कवि, संगम द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता पं शिवराम उपाध्याय मुकुल मतवाला एवं मुख्य अतिथि शायर डॉ अजय मालवीय रहे। सर्व प्रथम सरस्वती वंदना डॉ अन्नपूर्णा मालवीय ने किया। डॉ इन्दु जमदग्निपुरी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि खुद की ज्योति बिखेरो इतनी और जगह उजियारा हो। जीवन से नफ़रत मिट जाये ऐसा रूप दुलारा हो। प्रयागराज यमुना पार के मूर्धन्य कवि डा. वीरेंद्र सिंह कुसुमाकार जी ने कैकेई खंण्ड काव्य से 'हो कैकेयी सी माता' अपनी श्रेष्ठ काव्यरचना पढ़ी, जिसे सुनकर जनमानस के नयन भर आए। कवयित्री राधा शुक्ला 'रागिनी 'ने मातृशक्ति का आवाहन करते हुए अपने भाव व्यक्त किये -हम बेटी हैं हम बहना हैं हम पत्नी हैं महतारी हैं, हम सृष्टि हैं दृष्टि भी हैं हम ही जग की उजियारी हैं।संयोजक निखिलेश मालवीय ने पढ़ा भारत माता की जय बोलो वंदन गीत सुनाता हूं। जय अवस्थी ओजपूर्ण कविता सबका मन मोह हो गई पुष्कर प्रधान हंसराज हंस राम कैलाश पाल प्रयागी डॉ गीता सिंह एवं सुष्मिता सिंह असलम आदिल इलाहाबादी एवं अन्य अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का आयोजन और संयोजन निखिलेश मालवीय ने किया। संचालन अजय अवस्थी ने किया।इसमें डॉ.अजय मालवीय बहार इलाहाबादी ने पढ़ा- "आना हमारे शहर में संगम घुमाएँगे/कुछ और तीर्थों का भी दर्शन कराएंगे", पंडित राकेश मालवीय मुस्कान ने "महाकुंभ के कालखंड में, किसको तिलक लगाऊँ/कहाँ खड़े हैं रामदुलारे, किसको टेर सुनाऊँ" शम्भुनाथ श्रीवास्तव ने कहा "सुरसरि की पावन धारा में शुभ-अशुभ निरंतर बहते हैं" कवि-कलाकार रवींद्र नाथ कुशवाहा ने कहा यह कैसी गिरावट आ गई है दोहरे व्यक्तित्व में भी मिलावट आ गई है" निखिलेश मालवीय ने कहा भारत माता की जय बोलो, राम कैलाश पाल प्रयागी ने दुनिया का झंझावात का चक्रव्यूह तोड़कर श्रीराम न आते तो ये हिन्दुस्तान न होता। धन्यवाद ज्ञापन निखिलेश मालवीय ने किया।