लखनऊ (राजेश सिंह)। लाख कोशिशों के बाद भी अवैध खनन के धंधा और परिवहन पूरी तरह नहीं रुक पा रहा है। ऐसे में अब तकनीक के उपयोग का दायरा और बढ़ाया जा रहा है।
ड्रोन, जियोफेंसिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित निगरानी के साथ अब सरकार 'वेट इन मोशन' तकनीक को लागू करने जा रही है।
यह तकनीक चलते हुए भारी वाहनों का वजन सटीकता से माप सकती है, जिसके चलते ओवरलोडिंग कर खनिज का अवैध परिवहन आसान नहीं होगा।
वेट इन मोशन सिस्टम सड़कों पर लगे अत्याधुनिक सेंसरों के माध्यम से वाहनों का वजन, गति और अन्य आंकड़े बिना रोके रिकॉर्ड करता है। इससे खनन क्षेत्रों से निकलने वाले ट्रकों की ओवरलोडिंग तुरंत पकड़ में आ जाएगी।
खास बात यह है कि यह प्रक्रिया स्वचालित और 100 प्रतिशत सटीक है, जिससे समय की बचत भी होगी और मानवीय हस्तक्षेप भी कम होगा।
राज्य सरकार पहले ही 25 जिलों में 57 इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित मानव रहित चेकगेट्स स्थापित कर चुकी है, जिन्हें निदेशालय के कमांड सेंटर से जोड़ा गया है।
अब वेट इन मोशन संयंत्र को भी इस निगरानी प्रणाली में शामिल किया जाएगा। इसके लिए भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने परिवहन आयुक्त से सहयोग मांगा है। खनन क्षेत्रों की निगरानी और सर्वेक्षण के लिए ड्रोन के उपयोग को भी और व्यापक किया जा रहा है।
सरकार ने यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स, डेस्को और श्रीट्रोन जैसी संस्थाओं से तकनीकी प्रस्ताव मांगे हैं। ड्रोन से वास्तविक समय की जानकारी मिलने से अवैध खनन की पहचान और कार्रवाई दोनों तेज होंगी।
'माइन मित्र' होगा अब पर्यावरण पोर्टल से लिंक
खनन सेवाओं को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से (upminemitra.in) पोर्टल को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोर्टल से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इससे पर्यावरण स्वीकृति और निगरानी व्यवस्था अधिक सशक्त होगी।