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महंत नरेंद्र गिरि की चौथी पुण्यतिथि पर विशेष अनुष्ठान, संतों-भक्तों ने ग्रहण किया महाप्रसाद

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे ब्रह्मलीन महंत नरेंद्र गिरि की चौथी पुण्यतिथि श्री मठ बाघंबरी गद्दी में रविवार को विधि-विधान से मनाई गई। भरद्वाजपुरम स्थित मठ में भोर में सुबह चार बजे से अनुष्ठान शुरू हो गया। भगवान शिव और मां भगवती का अभिषेक करने के साथ ही चतुर्मास्य के तहत अनुष्ठान किए गए। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि की समाधि पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पुष्पार्चन किया गया। इसके बाद संतों, महात्माओं और भक्तों को महाप्रसाद वितरण किया गया। चंद्रग्रहण का सूतक लगने के चलते सारे कार्यक्रम दोपहर एक बजे के पहले संपन्न किए गए। महंत बलवीर गिरि ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि महाराज का शरीर 20 सितंबर को पूर्ण हुआ था। उस दिन महालय तिथि थी। सात सितंबर को ही महालय तिथि पड़ रही है। संत महात्माओं की पुण्यतिथि तारीख के अनुसार न मनाकर तिथि के हिसाब से मनाई जाती है। इस लिहाज से सात को वही महालय तिथि पड़ने पर अनुष्ठान और महाप्रसाद भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में भक्तों और महात्माओं ने प्रसाद ग्रहण किया। 
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे श्रीश्री 1008 श्री महंत नरेंद्र गिरी जी महाराज की चतुर्थ पुण्य स्मरण बेला पर समाधि पूजन किया गया। अल्लापुर के बाघंबरी मठ में दो दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन देशभर से आए साधु संगत जुटे। बाघंबरी मठ के महंत बलबीर गिरी जी महाराज सहित अखाड़े के पंच परमेश्वर और महामंडलेश्वर ने समाधि पूजन की। 
महंत नरेंद्र गिरि की पुण्य स्मरण बेला पर रविवार को समाधि पूजन किया गया। इस अवसर पर मठ को फूलों और झालरों से सजाया गया। प्रयागराज के श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए देशभर से महात्मा आए हैं। उन्होंने समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करके प्रार्थना की। इससे पहले सुबह अभिषेक किया गया। वहीं, पंच परमेश्वर, ब्राह्मणों और महामंडलेश्वर ने गृह शांति और विष्णु सहस्त्र हवन किया।
इसके बाद समाधि पूजन की गई और पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस दौरान एक हजार से ज्यादा साधु संत भी मौजूद रहे। पूजन के बाद दोपहर एक बजे तक प्रसाद वितरण हुआ। मठ के महंत बलबीर गिरी जी महाराज ने कहा पूज्य गुरुजी अपने विचारों व कार्यों के माध्यम से सदैव हमारे बीच मौजूद रहेंगे। बलबीर गिरी जी महाराज ने साधु संतों का स्वागत किया।

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