प्रयागराज (राजेश सिंह)। गंगानगर के झूंसी के छतनाग वार्ड स्थित हरिश्चंद्र शोध संस्थान परिसर में शनिवार शाम तेंदुआ देखे जाने से खलबली मच गई। तेंदुआ संस्थान के वॉच टावर नंबर एक के नीचे देखा गया। इसके बाद वॉच टावर नंबर 3 और 5 के पास भी उसे देखा गया। वन कर्मियों ने सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन देर रात तक उसे पकड़ा नहीं जा सका। संस्थान के वॉच टावर नंबर एक पर मौजूद सुरक्षाकर्मी हरिमोहन शुक्ला व विजय शंकर तिवारी ने तेंदुए को देखा। सुरक्षाकर्मियों ने इसकी जानकारी कंट्रोल रूम को दी तो अन्य सुरक्षाकर्मी भी मुस्तैद हो गए। इसी बीच तेंदुआ वॉच टावर नंबर तीन और पांच से होते हुए तकरीबन ढाई सौ बीघे में फैले परिसर के जंगल में घुस गया। उप वन क्षेत्राधिकारी बहादुरपुर सत्येंद्र चौधरी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। रात के अंधेरे में तेंदुए की तलाश की गई, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी। वन क्षेत्राधिकारी लक्ष्मीकांत दुबे व सत्येंद्र चौधरी ने बताया कि रात के अंधेरे में तकरीबन दो किलोमीटर में फैले जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाना संभव नहीं है। सुबह पूरी तैयारी के साथ तेंदुए की तलाश की जाएगी। बता दें कि पिछले दो माह से तेंदुआ गंगापार के हनुमानगंज इलाके के विभिन्न गांवों में देखा जा रहा है। वन विभाग की टीम उसे अब तक नहीं पकड़ सकी है। तेंदुए ने कुछ ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें जख्मी भी किया है। तेंदुए को शुक्रवार की रात छतनाग के श्मशान घाट के पास भी देखा गया था। हरिश्चंद्र शोध संस्थान के वॉच टावर पर तैनात सुरक्षा कर्मी ने यह जानकारी वन विभाग के अधिकारियों की दी है। सुरक्षाकर्मी ने बताया कि तेंदुआ श्मशान घाट के किनारे बने शिव मंदिर के पास में बैठा हुआ था। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके बाद वह बाढ़ के दौरान गिरे शोध संस्थान की बाउंड्री पार कर परिसर में घुस गया। संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ ही शोधार्थियों को भी रात में कमरे से बाहर निकलने से मना किया गया है।
गंगापार के हनुमानगंज के गांव की झाड़ियां से निकलकर झूंसी की घनी आबादी में आदमखोर तेंदुए के पहुंचने से शनिवार की आधी रात तक लोगों में हड़कंप मचा रहा। छतनाग वार्ड के छतनाग गांव में हरिश्चंद्र शोध संस्थान आता है। हरिश्चंद्र शोध संस्थान के बगल में ही बिरला गेस्ट हाउस और एमपी बिरला शिक्षा भवन एवं इंटर कॉलेज भी है। इसके बगल में सदाफलदेव आश्रम है जहां साधु संत एवं सेवक रहते हैं। यहीं से छतनाग रोड तक तकरीबन आधा दर्जन गांव और तकरीबन इतनी ही प्राइवेट कालोनियां भी हैं जहां पर हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। जैसे ही देर शाम को यह बात फैली कि हरिश्चंद्र संस्थान परिसर के भीतर तेंदुआ घुसा हुआ है। आसपास के लोगों में खलबली मच गई। लोग अनहोनी के डर से देर रात तक अपने-अपने घरों में सचेत रहे। छतनाग गांव के बगल में ही उस्तापुर महमूदाबाद,नयका महीन, देवनगर कॉलोनी, मायापुरी कॉलोनी, सरायतकी कॉलोनी और ठीक बगल में आवास विकास कॉलोनी योजना तीन में बसी घनी आबादी है। इससे आगे छतनाग रोड पर बढ़े तो चक हरिहरवन की घनी बस्ती है। ऐसे में लोग इस आशंका को लेकर डरे हुए थे कि अगर आदमखोर तेंदुआ हरिश्चंद्र संस्थान परिसर से बाहर निकलकर बस्ती में आ गया तो फिर क्या होगा।