प्रयागराज (राजेश सिंह)। धार्मिक स्थानों की यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। वाराणसी, विंध्याचल, प्रयागराज, चित्रकूट और खजुराहो को वंदे भारत से जोड़ने की तैयारी अंतिम चरण में है।
वाराणसी से खजुराहो तक की दूरी अब सिर्फ पांच घंटे में तय होगी, क्योंकि रेल मंत्रालय ने इन दोनों ऐतिहासिक शहरों के बीच पांचवीं वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दे दी है। यह ट्रेन प्रयागराज को विशेष रूप से लाभ पहुंचाएगी, जहां छिवकी स्टेशन पर दोनों दिशाओं में ठहराव होगा। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि चार प्रमुख धार्मिक केंद्रोंदृवाराणसी, विंध्याचल, प्रयागराज और चित्रकूट को एक सूत्र में बांधा जाएगा।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने खजुराहो के सांसद विष्णुदत्त शर्मा को पत्र लिखकर इसकी औपचारिक स्वीकृति की जानकारी दी। ट्रेन की संभावित समय-सारिणी भी जारी हो चुकी है। सुबह वाराणसी से 5.25 बजे रवाना होकर यह विंध्याचल (6.55-6.57), प्रयागराज छिवकी (8.00-8.05), चित्रकूट धाम (10.05-10.07), बांदा (11.08-11.10) और महोबा (12.08-12.10) होते हुए दोपहर 1.10 बजे खजुराहो पहुंचेगी। वापसी में खजुराहो से दोपहर 3.20 बजे चलकर महोबा (4.18-4.20), बांदा (5.13-5.15), चित्रकूट (6.13-6.15), प्रयागराज छिवकी (8.20-8.25), विंध्याचल (9.10-9.12) से गुजरते हुए रात 11 बजे वाराणसी लौटेगी।
यह ट्रेन पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। खजुराहो के यूनेस्को विश्व धरोहर मंदिर, वाराणसी की गंगा घाटें, प्रयागराज का संगम, श्रृंगवेरपुर धाम और चित्रकूट की रामायण से जुड़ी पवित्र जगहें अब एक ही यात्रा में सुलभ हो जाएंगी। स्थानीय व्यापारी और होटल व्यवसायी उत्साहित हैं, क्योंकि इससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।
प्रयागराज जैसे शहर, जो पहले ट्रेनों की कमी से पिछड़ रहे थे, अब बेहतर कनेक्टिविटी से आर्थिक लाभ उठाएंगे। वंदे भारत की यह सेवा आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। रेलवे का यह कदम उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को नई गति देगा, जहां श्रद्धा और इतिहास का संगम अब तेज रफ्तार ट्रेन से जुड़ रहा है। सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि इस ट्रेन के लिए तैयारी चल रही है, लेकिन अभी कोई अधिकृत सूचना नहीं है।
