प्रयागराज (राजेश सिंह)। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब का महान 350 सालाना शहीदी दिवस तप स्थान गुरुद्वारा पक्की संगत प्रयागराज में भोर बेला से ही संगत का आना गुरुद्वारा साहिब में आरंभ हो गया था श्रद्धालु अपने साथ बड़ी आस्था प्रेम से फूलमाला लेकर पहुंच रही थी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे नतमस्तक होकर पंक्तिबद्ध बैठकर पाठ का श्रवण करती रही 108 श्री अखंड पाठ साहिब की लड़ी की संपूर्णता होने पर दीप प्रचलित कर व पुष्पवर्षा कर श्रद्धालुओं ने आरती की। तत्पश्चात खुले दीवान हाल में सगत ने साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे माथा टेक कर पंक्तिबद्ध बैठकर कीर्तन गुरबाणी विचार, समागम पंथ के प्रसिद्ध रागी जत्थो-संतो एवं महापुरुषो द्वारा कथा-व्याख्यान व मनोहर शब्द-कीर्तन से संगत को निहाल किया।
महंत ज्ञान सिंह ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी की वीरता तथा अध्यात्म ने असंगठित, हताशा से भरे हिंदू समाज में नवीन प्राण फूंके और मुगलों को चुनौती दी आने वाली पीढियां को यह संदेश भी दिया कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए सर्वाेच्च बलिदान देना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए।अब जब हम धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता की चुनौतियो का सामना कर रहे हैं साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और उनकी शहादत हमें यह याद दिलाती है कि मानवता और सह-अस्तित्व ही सबसे बड़ा धर्म है उनका बलिदान युगों युगों तक भारत की आत्मा को प्रेरित करता रहेगा। साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान भारतीय इतिहास में धर्म निरपेक्षता और सहिष्णुता का अमर अध्याय है।
महंत स्वामी ज्ञान देव सिंह महाराज वेदांताचार्य अध्यक्ष श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल कनखल हरिद्वार ने प्रयागराज के वशिष्ठ सुप्रसिद्ध समाजसेवी सरदार पतविंदर सिंह सहित कई राष्ट्रभक्ति- स्वयंसेवक को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए अंगवस्त्र मेेनमेंटो देकर सम्मानित कर उत्साहवर्धन किया।अरदास-हुक्मनामा उपरांत गुरु का अटूट लंगर वितरित हुआ।
इस अवसर पर महंत ज्ञान सिंह, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री,महंत जसविंदर सिंह शास्त्री,महंत लक्ष्मण सिंह ,दर्शन सिंह ,सतनाम सिंह, साहिब सिंह, सहज दीप सिंह, अमरदीप सिंह,ओंकार सिंह,बिक्रमजीत सिंह ,वीरेंद्र सिंह,सरदार पतविंदर सिंह सहित बड़ी संख्या में महिलाएं- पुरुष-बच्चे आदि कई सेवादार उपस्थित रहे।
