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मनरेगा में मनमानी के आरोप: बीडीओ उरुवा के आदेश से मचे बवाल

 

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शासन की गाइडलाइन दरकिनार कर दो फर्मों को सप्लाई का निर्देश, प्रधानों में रोष

मेजा , प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। अपने विवादित कार्यों के कारण लगातार सुर्खियों में रहने वाली उरुवा ब्लॉक की खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) श्रुति शर्मा एक बार फिर गंभीर आरोपों में घिर गई हैं। सचिवों और ग्राम प्रधानों से जांच के नाम पर अवैध वसूली के आरोपों के बीच अब मनरेगा कार्यों में शासन की गाइडलाइन से हटकर सप्लाई आदेश जारी करने का मामला सामने आया है।

आरोप है कि बीडीओ श्रुति शर्मा ने 2 दिसंबर को एक आदेश जारी कर मनरेगा के अंतर्गत होने वाले सभी कार्यों में सामग्री की सप्लाई केवल दो फर्मों— ओम श्री हनुमते इंटरप्राइजेज और पार्थ इंटरप्राइजेज— से ही कराने का निर्देश दिया। जबकि शासन की गाइडलाइन के अनुसार मनरेगा कार्यों में सामग्री आपूर्ति की प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक होनी चाहिए। इस आदेश के बाद ब्लॉक स्तर पर हड़कंप मच गया है।

बताते चलें कि बीडीओ श्रुति शर्मा का नाम पूर्व में भी कई जिलों और ब्लॉकों में विवादों से जुड़ चुका है। आरोप है कि सचिवों और ग्राम प्रधानों से कथित अवैध वसूली और उत्पीड़न के कारण वे किसी भी ब्लॉक में अधिक समय तक नहीं टिक पातीं। प्रतापगढ़ जनपद के कई विकास खंडों में वे मात्र दो-तीन माह रहीं और प्रधानों के विरोध व आंदोलनों के बाद उन्हें हटाया गया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें सदर ब्लॉक प्रतापगढ़ से सीधे ग्राम विकास विभाग लखनऊ से अटैच कर दिया गया था।

इसके बाद उनकी तैनाती मांडा और उरुवा ब्लॉक में हुई। मांडा में भी वे दो माह से अधिक नहीं रह सकीं और विवादों के चलते हटा दी गईं। चाका ब्लॉक में तो प्रधानों के विरोध के कारण वे एक दिन भी कार्यभार नहीं संभाल सकीं।

उरुवा ब्लॉक में भी कथित लूट-खसोट और उत्पीड़न से आजिज ग्राम प्रधानों का गुस्सा अब खुलकर सामने आ गया है। शुक्रवार को प्रधानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर बीडीओ को तत्काल हटाने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। मामले को लेकर प्रशासनिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है।

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