शिक्षा विभाग द्वारा कई बार शिकायत के बाद भी स्कूल तक पहुँचने के लिए नही बनाई जा सकी सड़क
मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प को लेकर अत्यंत गंभीर है,वहीं प्रयागराज स्थित विकास खंड उरुवा के लगभग 20 स्कुलों में बच्चों तथा शिक्षकों के लिए आने-जाने का रास्ता नही है और बच्चों को स्कूल तक पहुँचने के लिए केवल मेड़ का ही सहारा है। शिक्षा विभाग के कई बार शिकायत के बावजूद भी स्कूल तक पहुँचने के लिए सड़क नही बनाई जा सकी है। उरुवा के प्राथमिक विद्यालय टेसहिया का पूरा, प्राथमिक विद्यालय नरवर चौकठा, प्राथमिक विद्यालय केवटाही, कोठरी, गौरा चौकठा, सोनाई, उरनाह, डुहिया, बेदौली, मदरा प्रथम, अरई, लेहड़ी व केवटहिया तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय आछोला, चौकी, ओनौर व चिलबिला आदि कई ऐसे परिषदीय विद्यालय है जहां पर आज तक बच्चों को आने-जाने का रास्ता नही है और बच्चें मेड़ से होकर आते है। वहीं प्राथमिक विद्यालय टेसहिया का पूरा के प्रभारी प्रधानाध्यापक सरफराज हुसैन ने बताया कि सड़क के लिए कई बार विभाग के अलावा प्रशासन और एसडीएम मेजा को भी अवगत कराया गया और शिकायत की गई लेकिन कुछ नही किया गया। उन्होंने कहा कि विद्यालय के स्थापना के दौरान ही कहा गया था कि विद्यालय के रास्ते को जल्द ही रामनगर-परानीपुर मार्ग से जोड़ दिया जाएगा,लेकिन 13 साल बाद भी स्कूल को सड़क से नही जोड़ा जा सका और विद्यालय को एक शिक्षक के भरोसे चलाया जा रहा है। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय ओनौर के इंचार्ज प्रधानाध्यापक अखिलेश दुबे ने बताया कि विद्यालय के सामने 400 मीटर की दूरी पर काली सड़क है और अब तो विद्यालय के अगल बगल के लोग भी अपने घर के सामने से बच्चों को आने-जाने से रोकते है। विश्वसुत्रों से पता चला है की गाँव की छोटी-मोटी राजनीति के चलते विद्यालय की सड़क नही बन पा रही है और बच्चें मेड़ के सहारे विद्यालय पहुँचते है। ऐसे ब्लॉक के कई विद्यालय है जहां रास्ता बंद होने से बच्चों का नियमित पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है और विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालयों के कई प्रधानाध्यापकों से बात करने पर पता चला है कि स्कूल तक जाने के लिए कोई सरकारी रास्ता पहले से नही था। शिक्षक और बच्चें मेड़ के सहारे ही स्कूल पहुँचते थे लेकिन अब स्थानीय लोगों ने बच्चों के आने-जाने वाले उस जमीन को भी घेर लिया है इससे पकडंडी भी बंद हो गई है। यदि शीघ्र ही प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो उक्त विद्यालयों का अष्तित्व ही पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और संचालन पूरी तरह से ठप हो जाएगा तथा विद्यालय खंडहर में तब्दील हो जाएगा।
विद्यालय में बच्चों को पहुँचने के लिए पकडंडी (मेड़) के ही सहारे स्कूल पहुँचना पड़ता है। ऐसे में बच्चों के अलावा शिक्षकों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन विद्यालयों में आने-जाने का रास्ता नही है उनकी सूची और पत्र बनाकर विभाग के अलावा प्रशासन को भी पत्राचार किया जा चुका है। वरुण मिश्रा, खंड शिक्षा अधिकारी उरुवा,प्रयागराज।

