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शादी का वादा कर यौन शोषण बढ़ती हुई प्रवृत्ति को शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिएः हाईकोर्ट

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण करने और बाद में शादी से इनकार करने की प्रवृत्ति समाज में बढ़ रही है, जिसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया। आरोपी प्रशांत पाल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं, जिसमें धारा 69 (धोखे से यौन संबंध बनाना आदि) भी शामिल है।

आरोपी प्रशांत पाल पर पीड़िता के साथ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने और उसे शारीरिक और मानसिक यातना देने का आरोप है। आरोप है कि 5 साल के रिश्ते के बावजूद, आरोपी ने बाद में उससे शादी करने से इनकार कर दिया और उसने दूसरी महिला से सगाई कर ली। गिरफ्तारी से सुरक्षा पाने के लिए आवेदक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उसके वकील ने तर्क दिया कि आरोप अस्पष्ट और झूठे हैं। यह तर्क दिया गया कि दोनों बालिग हैं और 2020 से सहमति से रिश्ते में साथ रह रहे हैं, लेकिन उसने कभी भी उससे शादी का कोई वादा नहीं किया।

यह भी कहा गया कि लंबे रिश्ते के बाद सिर्फ शादी से इनकार करना अपराध नहीं है। दूसरी ओर सरकारी वकील ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि शादी के झूठे बहाने से आरोपी आवेदक ने पांच साल तक पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाए रखे। यह भी कहा गया कि मेडिकल जांच में पीड़िता के यौन हिंसा के बयान की पुष्टि हुई और आरोपी पीड़िता को अश्लील वीडियो से भी धमकी दे रहा था।

वर्तमान मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए कोर्ट ने पाया कि आरोपी का आचरण झूठे वादे के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा, ष्मौजूदा मामले में मामले के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी याची का केस की पीड़िता के प्रति धोखे का इरादा शुरू से ही था। शुरू से ही उसका पीड़िता से शादी करने का कोई इरादा नहीं था और वह सिर्फ़ अपनी हवस पूरी कर रहा था।

कोर्ट ने अपराध की प्रकृति पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा इसे ष्समाज के खिलाफ गंभीरष् बताया। आपसी सहमति वाले रिश्ते के बचाव को खारिज करते हुए बेंच ने कहा रू ष्शादी के झूठे वादे पर उसने पीड़िता के साथ बार-बार शारीरिक संबंध बनाए। शादी के बहाने पीड़िता का शोषण करना और आखिर में उससे शादी करने से इनकार करना, ये ऐसी प्रवृत्तियां हैं, जो समाज में बढ़ रही हैं, जिन्हें शुरू में ही खत्म कर देना चाहिए। यह समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है, इसलिए एप्लीकेंट किसी भी रियायत का हकदार नहीं है। 

कोर्ट ने आगे कहा कि हालांकि पीड़िता बालिग थी और आरोपी के साथ किए जा रहे काम के नतीजों से वाकिफ थी, लेकिन उसने उस पर पूरी तरह से विश्वास किया और भरोसा किया। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि दूसरी ओर, रिश्ते की शुरुआत से ही आरोपी याची का उससे शादी करने का कोई इरादा नहीं था।

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