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यूपी: सीएम योगी ने म्यान से निकाली तलवार!

 

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 DG से लेकर आरक्षी तक सबकी कुर्सी हिली, अब कोई “सेटिंग” नहीं चलेगी !

लखनऊ (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में 2 दिसंबर 2025 का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया है। 1994 बैच के तेज-तर्रार IPS अधिकारी सुजीत पांडेय को सीधे ADG से डायरेक्टर जनरल (DG) के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया है। यह सिर्फ एक पदोन्नति नहीं, बल्कि प्रदेश पुलिस के शीर्ष नेतृत्व में अनुभव और कुशलता की जीत है। साथ ही लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट (खासकर पूर्वी जोन) में निरीक्षक, उप-निरीक्षक से लेकर आरक्षी स्तर तक सैकड़ों पुलिसकर्मियों के बड़े पैमाने पर तबादले कर दिए गए हैं।

ये दोनों घटनाएँ अलग-अलग नहीं, एक ही रणनीति के दो हिस्से हैं , पुलिस महकमे को चुस्त-दुरुस्त बनाने और जवाबदेही तय करने की। सुजीत पांडेय कोई अजनबी नाम नहीं हैं। लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर रह चुके इस अधिकारी ने कमिश्नरेट सिस्टम को जमीन पर उतारा था। उनके कार्यकाल में डायल-112 की प्रभावी मॉनिटरिंग, ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार, गैंगस्टरों पर सख्ती और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कई कदम याद किए जाते हैं। अब DG बनने के बाद उनके कंधों पर पूरे प्रदेश की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी होगी। यह प्रोन्नति बताती है कि योगी सरकार पुलिस नेतृत्व में “परफॉर्मेंस” को तरजीह दे रही है, न कि सिर्फ सीनियरिटी को। लखनऊ राजधानी है, यहाँ की लॉ एंड ऑर्डर पूरे देश की नजर में रहती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कई थानों में एक ही इंस्पेक्टर-दारोगा-आरक्षी वर्षों से जमे हुए थे। इसका नतीजा! स्थानीय अपराधियों-रेत माफिया-शराब माफिया से साँठ-गाँठ के आरोप! शिकायतों का निस्तारण में देरी! गश्त और पेट्रोलिंग में लापरवाही! ट्रैफिक पुलिस की मनमानी! इन सबको खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर रोटेशन जरूरी था। अब नए चेहरे नए थानों में आएँगे, नई ऊर्जा आएगी, पुरानी गठजोड़ टूटेंगी। पीएसी बटालियनों में भी फेरबदल हुआ है, जिससे बल की तैनाती ज्यादा रणनीतिक होगी। ये तबादले और सुजीत पांडेय की ताजपोशी दो संदेश दे रहे हैं,1. मेरिट और परफॉर्मेंस को अब तरजीह मिलेगी, 2. लंबे समय तक एक जगह जमे रहने की “आराम की कुर्सी” खत्म होगी। जो पुलिसकर्मी जनता की सेवा करेंगे, अपराधियों पर सख्ती दिखाएँगे, उन्हें सम्मान और तरक्की मिलेगी। जो सुस्ती दिखाएँगे, उनके लिए सजा के रूप में ट्रांसफर या फिर कुछ और इंतजार कर रहा है। थानों में अब पुराने “चहेते” नहीं, नए और सक्रिय अफसर मिलेंगे! गश्त बढ़ेगी, रात में भी पुलिस की गाड़ियाँ दिखेंगी! महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों की सुरक्षा पर विशेष फोकस! अपराधियों के हौसले टूटेंगे क्योंकि अब उनके “अपने” थानों में नहीं रहेंगे! यह बदलाव एक दिन में चमत्कार नहीं करेगा, लेकिन दिशा सही है। योगी सरकार ने साफ संदेश दे दिया है – उत्तर प्रदेश पुलिस अब सिर्फ “संख्या बल” नहीं, “कुशल और जवाबदेह बल” बनेगी। सुजीत पांडेय जैसे अनुभवी और सख्त अधिकारी के नेतृत्व में यूपी पुलिस के स्वर्णिम दिनों की वापसी की उम्मीद जग गई है। अब देखना यह है कि यह नई शुरुआत कितनी जल्दी रंग दिखाती है।लखनऊ की सड़कों पर अब नई नीली वर्दी में नई ऊर्जा दिखेगी। जनता का भरोसा लौटेगा, यही सबसे बड़ी जीत होगी।

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