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यमुनापार मे धड़ल्ले से चल रहे अवैध अस्पताल, घरों और दुकानों मे चल रहे क्लीनिक

SV News

मानकों को दरकिनार कर खोला अस्पताल, बन गए ‘धरती के भगवान’

प्रयागराज (राजेश सिंह)। यमुनापार के बाजारों और गांवों में गरीबों की जिंदगी से खेलने के लिए मानकों को दरकिनार करके लगातार अस्पताल खोले जा रहे हैं। इनमें न तो चिकित्सक होते हैं और न ही किसी नियमों का पालन किया जाता है। मरीज की हालत कैसी भी हो, उन्हें भर्ती करके इलाज शुरू कर देते हैं। बाद में स्थिति और बिगड़ने पर रेफर कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा जाते हैं। इसी वजह से अधिकांश लोग गलत इलाज के कारण प्रतिदिन अपनों को खो रहे हैं।
यमुनापार के नैनी व करछना तहसील क्षेत्र के पचदेवरा, गंधियांव, तरहार, करछना, भड़ेवरा, घटवा, डेरी, धरवारा, अकोढ़ा, भीरपुर, हर्रई व मेजा तहसील क्षेत्र के मेजारोड, रामनगर, मेजाखास, कोहड़ार, मांडा, भारतगंज इसी तरह शंकरगढ़, लालापुर, कौंधियारा, बारा, घूरपुर, जसरा समेत दर्जनों क्षेत्रों में अवैध तरीके से अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। इन अस्पतालों का सीएमओ के यहां से कोई रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। कुछ क्लीनिक सिर्फ मेडिकल स्टोर के लाइसेंस पर संचालित हो रही हैं। इसके अलावा अवैध अस्पतालों में दस से बीस बेड भी लगाए गए हैं। सड़कों के किनारे लगे इनके बोर्डों में शहर के नामी चिकित्सकों के नाम लिखे हैं।
हालांकि मरीजों को देखने के लिए कभी भी इन चिकित्सकों को अस्पताल में नहीं बुलाया जाता है। सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन को ध्यान में नहीं रखा जाता है। करछना से कोहड़ार पुल तक हाईवे के किनारे बने कई निजी अस्पताल दुकानों, घरों और गोदामों में संचालित किए जा रहे हैं। यहां फायर और प्रदूषण विभाग का भी कोई दखल नहीं है। कोई अधिकारी इन रास्तों से गुजरे तो हकीकत अपने आप देख लेगा।
वहीं करछना सीएचसी अधीक्षक केबी सिंह ने बताया कि कोई अस्पताल बिना लैब टेक्निशियन के खून आदि की जांच नहीं कर सकता है। वहीं अल्ट्रासाउंड के लिए सोनोलाजिस्ट की तैनाती होनी चाहिए। वहीं इन नियमों का भी अस्पतालों में पालन नहीं हो रहा है।

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