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प्रयागराज: संगम की रेती पर आधी रात का अद्भुत नजारा, जानें क्या कहते हैं श्रद्धालु

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श्रद्धालु बोले- यहां आकर सारे तनाव भूल गए, एक नई ऊर्जा मिली है

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में माघ मेला चल रहा है। कड़ाके की ठंड के बावजूद संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है। 5 लाख से ज्यादा भक्त वसंत पंचमी से एक महीने के लिए गंगा किनारे संयमित जीवन बिताकर पूजा-आराधना कर रहे हैं। इसे कल्पवास का नाम दिया जाता है। कहा जाता है कि कल्पवास करने से जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष मिलता है।

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करीब 650 हेक्टेयर में माघ मेले के लिए संगम की रेती पर तंबुओं का अलग शहर बसाया गया है। लोहे की सड़कें बनाई गई हैं। पीपे के 5 पांटून पुल बनाए गए हैं। मेले में कई जगहों पर कथा और भागवत कथा चल रही है। वैसे तो समूचा प्रयागराज ही माघ मेले की भक्ति में डूबा हुआ है, लेकिन संगम के किनारे का नजारा कुछ अलग ही नजर आ रहा है।
ऐसे में सूरज वार्ता की टीम रात 12 बजे संगम नोज पर श्रद्धालुओं का हाल जानने पहुंची। जहां सुरक्षाकर्मियों के अलावा दूर-दराज श्रद्धालु भी दिखाई दिए। दिन में लाखों श्रद्धालुओं से पटा रहने वाला संगम रात को 12 बजे कुछ खाली-सा दिखाई दिया। मगर, इसका नजारा दिल को छू जा रहा था। रात के अंधेरे में चमकती लाइटें अद्भुत नजारा दिखा रही थीं। इस दौरान हमने यहां मौजूद श्रद्धालुओं से बातचीत भी की। उनसे माघ मेले के अनुभव के बारे में जाना।

गौरव बोले- सारी टेंशन भूल गए…काफी सुकून भरा है

कानपुर के रहने वाले गौरव बताते हैं, "सपना था कि माता-पिता को साथ लेकर संगम आएंगे, मगर नहीं ला पाए। 12 बजे का संगम काफी स्पेशल है। आध्यात्मिक ऊर्जा, तो जैसे यहां भरी पड़ी है। यहां आकर हम अपनी सारी टेंशन भूल ही गए हैं। एक नई ऊर्जा मिली है। मैं तो यही कहूंगा कि अगर आप प्रयागराज आए हैं, तो आधी रात का संगम जरूर फील करें। यह काफी अद्भुत है।''

विवेक ने कहा- यहां आकर मन और शरीर दोनों पवित्र हो जाता है

कानपुर के विवेक तिवारी कहते हैं, "मां गंगा तो मोझदायिनी हैं। उनकी गोद में आकर काफी सुकून मिलता है। यहां आकर मन और शरीर दोनों पवित्र हो जाता है। इससे अच्छा रमणीक स्थान और कोई नहीं हो सकता है। दिन में काफी भीड़ होती है। मगर, रात का समय काफी शांति और सुकून देने वाला है। यह काफी स्पेशल अनुभव है।''

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रूपम बोलीं- आधी रात का संगम अनोखा फील दे रहा है

बस्ती से संगम स्नान और दर्शन करने आईं रूपम शुक्ला ने बताया, ''आधी रात को संगम बहुत अनोखा फील दे रहा है। यहां हम पहली बार आए हैं। जैसे लग रहा है हम स्वर्ग में आ गए हैं। कई टन बोझ हमारे दिमाग से उतर गया है।"
बस्ती से ही आए सुगम शुक्ला ने बताया, "रात में वाहन आसानी से आ जाते हैं। दिन में काफी दिक्कत होती है। रात को पूरा संगम क्षेत्र खाली रहता है। कहीं भी बैठो, घूमो, नहाओ कोई रोकता-टोकता नहीं है। रात को यहां आकर मन को काफी शांति मिलती है।"
प्रयागराज एयरफोर्स में जॉब करने वाले अनुराग त्रिवेदी बताते हैं, "संगम किनारे आकर काफी शांति मिल रही है। रात में ऊंचाई से देखने पर यह तंबुओं की नगरी न्यूयॉर्क सिटी की तरह लगती है।''

आधी रात को भी यहां मिलती है गरम चाय

अनुराग त्रिवेदी ने बताया कि संगम पर आधी रात को भी आपको गरम-गरम मसाला चाय पीने को मिल जाएगी। संगम नोज पर आधी रात को भी खाने-पीने की चीजों के साथ ही साथ आपको आसानी से मसाला चाय पीने को मिल जाएगी। हाथ में चाय की केतली लिए युवक आपको आसानी से मिल जाएंगे। इसके अलावा पूजा-पाठ के सामान के साथ ही साथ फूल-माला की दुकानें में मिल जाएंगी। यानी आधी रात को भी संगम कभी सोता नहीं दिखेगा। हमेशा यहां रौनक और चहल पहल आपको दिख जाएगी।

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