मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
मेजा के ग्राम पंचायत भइयां का तालाब संख्या -588 का भीटा तो पहले से ही अतिक्रमण का डंस झेल रहा था जिसकी वजह से पानी नहीं टिकने दिया जाता था।अब तालाब के स्तित्व को मिटाने में प्रशासनिक तंत्र भी योगदान देता दिखाई देने लगा है। जिसका संजीदा उदाहरण है कि जिला -पंचायत द्वारा बनाई गई सीमेंटेड रोड जिसकी लागत लाखों में होगी। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद तालाब में बना दी गयी। एक तरफ ग्राम पंचायत भइयां के ऐसे कई मुहल्ले हैं जहां सरकारी चकमार्ग स्थित है किन्तु कच्चे मार्ग को किसी भी योजना के तहत पक्का मार्ग नहीं बनाया जा रहा है। वहीं, तालाब जिस पर कि शासन से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक अतिक्रमण हटाने का प्रयास कर रहा है, जिससे कि तालाबों को जलमग्न किया जा सके। वहीं जिला -पंचायत प्रयागराज के द्वारा स्वीकृत सड़क को तथाकथित ठीकेदार मनमानी करते हुए तालाब के पेटे में सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिए। तालाब संरक्षण को लेकर ग्रामीणों के बीच जनपंचायत आयोजित करने वाली संस्था के जनपद प्रभारी अधिवक्ता विवेक सिंह ने आपत्ति जताई है।उन्होंने कहा कि सरकार की योजना है कि अधिक से अधिक तालाब तैयार किए जायें जिससे कि भूगर्भ का जलस्तर बना रहे। वहीं कुछ प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारीयों के सहयोग से ठेकेदार द्वारा तालाब के पेटे में सड़क निर्माण किया जाना दुर्भाग्य -पूर्ण है।ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार द्वारा ऐसे स्थान को इसलिए चुना गया है कि किसी को पता भी न चले और गुणवत्ता विहीन सड़क तैयार कर पैसे की निकासी कर ली जाए। हालांकि केवल सड़क ही नहीं इसके पहले विद्युत विभाग द्वारा तालाबों के बीचोबीच पोल गाड़कर विद्युत सप्लाई दी गई है, जिसकी वजह से तालाब की खुदाई नहीं हो पा रही है। साथ ही ग्रामीणों को भी लगता है कि जब प्रशासन द्वारा तालाबों में सड़क बनाकर एवं विद्युत पोल गाड़कर अतिक्रमण किया जा रहा है तो फिर घर बनाने य खेती करके नवैयत में बदलाव किया जाना स्वाभाविक प्रक्रिया है।