प्रयागराज (राजेश सिंह)। एस आर एन अस्पताल के ट्रामा सेंटर में उमेश पाल की पत्नी जया, बहन गुड़िया और मां शांति पाल रोती-बिलखती और अतीक के साथ ही पुलिस को भी कोस रही थीं। मां शांति पाल ने रोते हुए कहा, अतीकवा मरवाए दिहिस हमरे बेटा का, पुलिसवालेन भी बिक गए नहीं तो बचाय लेते। उमेश की बहन गुड़िया तो इस कदर आक्रोशित थीं कि बार-बार चीखते हुए कहतीं कि अतीक के खिलाफ लगातार उमेश लड़ते रहे कोर्ट कचहरी में लेकिन पुलिस उनकी जान नहीं बचा सकी।
शाम करीब पौने छह बजे उमेश पाल और घायल दोनों गनर को एंबुलेंस में एसआरएन अस्पताल ट्रामा सेंटर लाया गया तो समर्थक बेहद आक्रोश में थे। घरवाले तो पुलिस से इस कदर नाराज थे कि बार-बार चीख रहे थे। मां की तरह ही परिवार के अन्य लोगों का कहना था कि अतीक अहमद से लगातार जान का खतरा बना था तब भी पुलिस ने उमेश पाल की सुरक्षा में लापरवाही बरती।
उमेश पाल एक तरफ राजू पाल हत्याकांड की पूरी मजबूती से पैरवी कर रहे थे तो दूसरी ओर अपने परिवार पर भी जान छिड़कते थे। पत्नी जया पाल और चार बच्चों आदित्य, काव्या, दिव्या, आरव को वह बहुत दुलार करते थे। उन्होंने बच्चों के साथ कई बार फोटो इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट की। अपनी वाट्सएप प्रोफाइल पर भी बेटे की फोटो लगा रखी थी। अब परिवार गम में डूबा है। उमेश पाल का भतीजा अस्पताल में रोता-चीखता रहा। वह कहता रहा कि उमेश चाचा के बिना जिंदगी कैसे जी पाएंगे।
शुक्रवार शाम सुलेमसराय के जयंतीपुर में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह अधिवक्ता कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल पर हमले की खबर तेजी से फैली और उनके करीबी, समर्थक, रिश्तेदार, वकील एसआरएन अस्पताल ट्रामा सेंटर में पहुंच गए। 5.44 बजे एंबुलेंस में उमेश और दोनों घायल नगर को मुंडेरा के निजी अस्पताल से ट्रामा सेंटर लाया गया तो परिवार के लोग और करीबी रोने-चीखने लगे। उनके चेहरों पर गम के साथ भारी गुस्सा साफ झलक रहा था। वे बार-बार अतीक अहमद को गालियां देते हुए कह रहे थे कि पुलिस-प्रशासन सोता रहा और अतीक ने मरवा दिया।
करीब पांच मिनट बाद ही ट्रामा सेंटर से उमेश पाल को एसआरएन अस्पताल की दूसरी इमारत स्थित आइसीसीयू में रेफर कर दिया गया। स्ट्रेचर पर उमेश पाल को आइसीसीयू तक ले जाने के दौरान भी रिश्तेदार और परिवार के लोग चीखते हुए अतीक अहमद और पुलिस को कोसते रहे। उमेश को आइसीसीयू के भीतर ले जाया गया। कुछ मिनट बाद वहां अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि और फिर डीसीपी नगर दीपक पहुंचे तो उन्हें भी उमेश के करीबियों के तानों का सामना करना पड़ा।
अस्पताल में भीड़ बढ़ती जा रही थी। धूमनगंज के सुलेमसराय, जयंतीपुर, नीवा, मुंडेरा, प्रीतम नगर, झलवा, राजरूपपुर, चौफटका, राजापुर जैसे इलाकों से बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचते रहे। तमाम वकील भी आ गए थे। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह भी आइसीसीयू में पहुंचे और उमेश पाल की स्थिति की जानकारी ली। जिलाधिकारी संजय खत्री मेडिकल कालेज प्राचार्य डा. एसपी सिंह के साथ आए और डाक्टरों से हाल पूछा। तब तक उमेश पाल को मृत घोषित किया जा चुका था। उनकी पत्नी और बहन को आइसीसीयू से बाहर लाकर बेंच पर बैठा दिया गया। इसके बाद करीब सात बजे आइसीसीसू से शव को निकाल पोस्टमार्टम तक ले जाने के लिए पुलिसकर्मियों को दोनों तरफ खड़ाकर कारीडोर बना लिया।
सवा सात बजे उमेश का शव स्ट्रेचर पर बाहर लाया गया तो आंसूओं का गुबार फूट पड़ा।घरवालें हो या करीबी, सभी रोने-बिलखने लगे। चीख-पुकार मची रही। किसी तरह स्ट्रेचर पर शव को पोस्टमार्टम की तरफ ले जाया गया। इसके बाद पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी और अन्य अफसर एसआरएन अस्पताल पुलिस चौकी पहुंचे और घटना पर कुछ देर बातचीत करने के बाद मीडिया को बयान दिया। शव पोस्टमार्टम हाउस में रखा होने के कारण लगातार भीड़ बढ़ती गई । ऐसे में पूरे जिले से पुलिस फोर्स बुलाकर अस्पताल परिसर से लेकर सुलेमसराय में घर तक तैनात कर दिया गया।