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खंडहर में तब्दील अतीक का बंगला: कभी बंगले के सामने हार्न बजाने पर उठा लेते थे माफिया अतीक के गुर्गे

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। अब भले ही अतीक के साथ ही उसके माफियाराज का खात्मा हो गया हो लेकिन एक दौर वो था जिसके बारे में याद कर आज भी इलाके के लोग सिहर उठते हैं। अतीक की हनक के पीछे था उसका क्रूर व्यवहार। अतीक के सामने लोग झुकते थे तो इसकी वजह सम्मान नहीं बल्कि खौफ था। जी-हुजूरी नहीं किया तो अतीक के कहर का सामना करना पड़ता। चकिया में बंगले की जगह जहां पर आज मलबा और कबाड़ पड़ा है, कभी आलम यह था कि वहां से सड़क पर गुजरते समय तमाम लोग सिर झुका लेते थे क्योंकि माफिया को अपने सामने किसी का सिर ऊंचा गवारा नहीं था। एक सामान्य काश्तकार और तांगा चलाने वाले हाजी फिरोज के बेटे अतीक अहमद ने चार दशक तक गुंडाराज कायम रखा। चकिया में उसके पुश्तैनी भवन के हाल और बगीचे में अतीक अहमद का दरबार लगता था जिसमें नेता से लेकर अधिकारी तक शामिल होते और वो फरमान जारी करता था।
अतीक का बंगला लोगों के लिए आकर्षण और कौतुहल का केंद्र था लेकिन किसी की मजाल नहीं थी कि वहां ठहरकर गेट की तरफ झांक सके। बंगले की तरफ झांकना तो दूर, गाड़ी का हार्न भी वहां बजाने का मतलब था अपने लिए मुसीबत बुलाना। गाड़ी का हार्न बजाने वाले को अतीक के आदमी पीछा करके पकड़ लेते। फिर उसे बंगले में लाकर अतीक के सामने पेश किया जाता। अतीक धमकाता और मार-कुटाई कराकर ही छोड़ता। यूं अतीक खुद को किसी बादशाह की तरह पेश करता रहा।
अतीक के बंगले के विशाल गेट खुलते तो उसके काफिले में शामिल लैंड क्रूजर, बीएमडब्लू जैसी लग्जरी गाड़ियां हूटर बजाते हुए तेज रफ्तार में चलती। लैड क्रूजर या बीएमडब्लू में अतीक होता और आगे-पीछे की कारों में राइफलों, पिस्टल, रिवाल्वर से लैस गुर्गे। वे अतीक के लिए सुरक्षा के साथ ही शूटर का भी काम करते। एक समय उसकी गाड़ियों आबिद, फरहान, जुल्फिकार उर्फ तोता, अंसार बाबा जैसे आपराधिक प्रवृति के लोग हथियार लेकर चलते थे।
जलवा और जलाल वाले अतीक अहमद के माफियाराज पर योगी शासन का डंडा चला तो बंगला अवैध होने की वजह से ढहा दिया गया। परिवार दूसरे के मकान में रहने लगा। अतीक और अशरफ पहले से जेल में थे। बेटे उमर और अली भी सरेंडर कर जेल चले गए। ढहे मकान के एक हिस्से में बने बाड़़ा में विदेशी नस्ल के पांच कुत्तों को खाने के लिए तरसना पड़ा। एक के बाद एक दो कुत्तों ने दम तोड़ दिया। अब तीन कुत्तों को नगर निगम से खाना मिल रहा है। अतीक का घरेलू नौकर हीरा भी देखभाल कर रहा है। वह कहता है कि तब कुत्ते मीट खाते और दूध पीते थे। अब तो रोटी मिलना भी मुश्किल हो रहा है।
अतीक के माफियाराज के दौरान थानों में या तो उसका आदेश चलता या फिर उसके गुर्गे जाकर मनमानी करते। किसी भी पकड़े गए शख्स को थाने से छुड़ा लाते और अपने विरोधी या दुश्मन को थाने ले जाकर पीटते तथा धमकाते थे। एक वाकया 2014 का है। अतीक के करीबी ने मेजा के एक कारोबारी से तीन डंपर किराए पर लिए। मगर उसने दो महीने तक किराया नही दिया। मेजा का कारोबारी अपने डंपर ले गया तो अतीक के करीबी ने उसे उठा लिया और सिविल लाइंस थाने में रखकर पुलिस की मौजदूगी में प्रताड़ित किया। पुलिसवाले नतमस्तक होकर देखते रहे।

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