उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस दो दिवसीय अधिवेशन रविवार को हुआ संपन्न
वाराणसी (राजेश सिंह)। इतिहास की महत्ता हर दौर में प्रासंगिक है। कभी इसमें परिवर्तन नहीं होता।धर्म के हिसाब से इतिहास की अलग अलग व्याख्या जरूर होती है लेकिन इनका बदलता स्वरूप सभी को प्रभावित करता है। यह कहना है कि हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीश कुंवर का। रविवार को प्रोफेसर कुंवर रविवार को उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र में बीज वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा समय की प्रत्येक समाज में अलग व्याख्या है। आधुनिक युग में सामयिक वृतांत की अलग व्याख्या है।प्राचीन कथाओं में ऐतिहासिक इतिहास के दृश्य में निरंतर बदलाव होते रहते हैं।
अधिवेशन के समापन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर इशरत आलम ने किया उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय अधिवेशन में कुल 275 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए एवं सर्वसम्मति से पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें अध्यक्ष प्रोफेसर अनिरुद्ध पांडेय, उपाध्यक्ष अतुल कुमार सिन्हा, प्रोफेसर इशरत आलम, सचिव प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह यादव, सहसचिव डॉ रामविलास भारती, प्रोफेसर रेणु शुक्ला, प्रोफेसर विश्वनाथ वर्मा सहित नई कार्यकारिणी के सदस्यों का सर्वसम्मति से निर्वाचन किया गया। अधिवेशन में आए लोगो का स्वागत एवं धन्यवाद प्रोफेसर विश्वनाथ वर्मा ने किया व संचालन प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह यादव ने किया। अधिवेशन में मुख्य रूप से प्रोफेसर एस.एन.आर. रिजवी, प्रोफेसर हर्ष कुमार, प्रोफेसर अनीता प्रकाश, प्रोफेसर दुष्यंत सिंह, डॉ सरला सिंह, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, डॉ शिवानंद यादव, डॉ राम आशीष यादव, प्रोफेसर रागिनी श्रीवास्तव, शिवांगी चौबे, प्रीति वर्मा, संदीप शशांक वर्मा आदि उपस्थित रहे।