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संविधान और जनता के बीच पुल का काम करती है न्यायपालिकाः चीफ जस्टिस गवई

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नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा है कि न्यायपालिका लोगों की आकांक्षाओं और संविधान के आदर्शों के बीच पुल का काम करती है। नेपाल में आयोजित नेपाल-भारत न्यायपालिका वार्ता 2025 में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका का काम केवल विवाद सुलझाना ही नहीं है, बल्कि न्याय, समानता और मानव सम्मान के सिद्धांत को व्यवहार में भी लागू करने की जिम्मेदारी भी होती है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए अदालतें गवर्नेंस के विकास में मार्गदर्शक बन सकती हैं, जनता के भरोसे को प्रेरित कर सकती हैं और इस विचार को मजबूत कर सकती हैं कि लोकतंत्र केवल संस्थानों से ही नहीं, बल्कि उन मूल्यों से भी मजबूत होता है, जिन्हें वे अपनाते हैं और जिनका उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका सुधारों और देश के नैतिक ताने-बाने को प्रोत्साहित करके समाज के बुनियादी ढांचे को बचाने में संरक्षक और उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि न्यायपालिका की बढ़ती भूमिका से इसकी पारंपरिक कार्यप्रणाली के बढ़ते दायरे का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे मोटे तौर पर कानून के काले अक्षर के अमल के तौर पर समझा जाता था।

उन्होंने कहा कि हालांकि, आज न्यायपालिका से ये उम्मीद की जाती है कि वह लिखित सामग्री के प्रयोगों से आगे जाकर कानून के गहन उद्देश्यों और परिणामों को समझे। दशकों से सक्रिय भूमिका न्यायपालिका की पहचान का केंद्र बन गई है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और न्याय को मजबूत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता केवल न्यायिक घोषणाओं तक सीमित नहीं है। प्रशासनिक और संस्थागत मोर्चों पर भी हमारे प्रयास समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, जहां अदालती प्रबंधन, केस फ्लो प्रक्रिया, डिजिटल बुनियादी ढांचे और न्याय तक पहुंच जैसी पहल में नवाचार व्यापक नजरिये को दर्शाते हैं।


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