प्रयागराज (राजेश सिंह)। सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को अब लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस फैसले के बाद एक बार फिर लोगों के मन में आदमखोर कोलंदर की डरावनी कहानी की यादें ताजा हो गई हैं। यमुनापार के शंकरगढ़ का मूल निवासी राम निरंजन सीडीओ छिवकी में कर्मचारी था। इसी क्षेत्र में वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहता था। वर्ष 2000 में जब राजा कोलंदर की असलियत के बारे में लोगों को पता चला था, तब वह अवाक रह गए थे।
जानकारों का कहना है कि राम निरंजन बहुत ही महत्वाकांक्षी था। उसका शंकरगढ़ उसके आसपास रहने वाले कुछ ‘बागियों’ से भी संबंध थे। जब भी वह नैनी से गांव जाता था तो अधिकांश लोग उसके सामने सिर झुका लेते थे। ऐसा देखते-देखते वह खुद को राजा समझने लगा और फिर बाद में अपने नाम के आगे ‘राजा’ लगाने लगा।
जब लोग उसे राजा राम निरंजन पुकारने लगे तो वह खुद को गर्वान्वित मानने लगा। इसके बाद अपना नाम राजा कोलंदर बताने लगा। दो दशक पहले उसकी कारस्तानियां उजागर हुईं तो पुलिस और कचहरी का चक्कर लगाना पड़ा। इसी बीच राजा कोलंदर ने अपने बड़े बेटे का नाम अदालत और छोटे बेटे का नाम जमानत रखा। इतना ही नहीं, पत्नी गोमती का नाम भी बदलकर फूलनदेवी कर दिया था। अपनी बेटी का नाम ‘सुंदर’ रखा था। पत्रकार धीरेंद्र हत्याकांड का राजफाश करने के बाद पुलिस भी चकरा गई थी। पहले तो उन्हें भी राजा कोलंदर के वहशीपने पर यकीन नहीं हुआ था, लेकिन जब मुतमईन हुए तो हैरान रह गए थे।
राजा कोलंदर के बेटे और उनका परिवार नैनी में रहता है। बताया गया है कि उसका बड़ा बेटा अदालत एक स्कूल में शिक्षक है। जबकि छोटा बेटा जमानत प्रावइेट काम करता है। बेटी सुंदर की शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में परिवार के साथ रहती है। राजा कोलंदर के मुहल्ले में रहने वाले शख्स भी उसकी कहानी को पहले सुनते थे, लेकिन अब किसी के पूछने पर सुनाने लगते हैं। उसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।